बाणभट्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

बाणभट्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी बाणभट्ट हर्षवर्धन के दरबार का राजकवि था। बाण हर्ष के दरबार का सबसे सम्मानित साहित्यकार था। वह महाकवि होने के साथ ही एक उच्च कोटि का संस्कृत गद्य लेखक भी था। बाण की कुल चार कृतियाँ है-

  • (1) हर्ष चरितम्,
  • (2) कादम्बरी
  • (3) चण्डीशतक एवं,
  • (4) मुकुट ताडितक

हर्ष चरितम् के प्रारम्भ में बाण ने अपने वंश, बाल्यकाल आदि का वर्णन किया है। बाण ने हर्षचरितम् में लिखा है कि उसके पूर्वज ‘प्रीतिकूट’ में रहते थे। ‘वत्स’ के वंश में ‘अर्थपति’ नाम के विद्वान ब्राह्मण हुए। उनके ग्यारह पुत्रों के बाद पिता ने ही इनका लालन-पालन किया। बाण जब 14 वर्ष के थे इनके पिता का भी देहान्त हो गया। बाण ने मित्रों के साथ पर्यटन किया। इस काल में उन्होंने अनेक गुरुकुलों में विद्याध्ययन किया। अन्त में वे हर्ष के दरबार गये जहाँ हर्ष ने इनकी योग्यता और विद्वता से प्रभावित होकर इन्हें अपना राजकवि बना लिया। हर्ष के दरबार में रहकर महाकवि बाणभट्ट ने उपरोक्त चारों ग्रन्थ लिखे। साहित्यिक दृष्टि से कादम्बरी बाण की सर्वश्रेष्ठ रचना है। यह गद्य में है। हर्ष चरितम् सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति है।

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