असीरियन वस्तुकला – असीरिया के कलात्मक अवशेष और उदाहरण, बेबीलोनियन कला के मूलाधार पर पल्लवित हुये थे। असीरियन कला की चारित्रिक विशेषता उसकी सार्वदेशिकता मानी गई है लेकिन स्थानीयता का तत्व, लोककला के विविध रूपों के नैरन्तर्य में और भी निखरा हुआ है। इस कला में व्यक्तिनिष्ठ प्रतिभा के उदाहरण विरल हैं। कहना न होगा कि सशक्त बेबीलोनियन प्रभाव के बावजूद असीरियन कला की पहचान सन्देहरहित है और क्रूर विजेता के रूप में इतिहास प्रसिद्ध असीरिया के शिल्पी मानवीय संवेदना से अछूते नहीं थे।
गुप्त साम्राज्य के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
धार्मिक परम्परा के भव्य स्मारकों-मन्दिरों का निर्माण हुआ था जिसके प्रमाण कई केन्द्रों से मिले हैं इनमें असुर देवता के मन्दिर विशेष प्रसिद्ध हैं। वास्तुकला के असीरियन उदाहरण राजतंत्र से सम्बद्ध हैं। असीरिया के शासकों ने असुर, कल्हु, निनिवेह और खोरसाबाद जैसी राजधानियों में विशाल राजमहलों का निर्माण कराया था जिनमें ईंटों, पत्थरों और संगमरमर का प्रयोग हुआ था। खोरसाबाद से नगर योजना का उदाहरण मिला है और असुरनसीरपाल प्प के राजभवन में दरबार-ए-आम और दरबार-ए-खास जैसे निर्माण कराये गये थे जिससे आवास और स्वागत कक्ष भी संलग्न थे। भव्य महल द्वार का अलंकरण दर्शनीय था। निनिवेह में तीन मेहराबों का सुन्दर क्रम उल्लेखनी था। स्तम्भों के सहारे चारों ओर से खुले भवन (बित खिलानी) बनवाये गये थे।