असीरियन मूर्तिकला का संक्षिप्त विवरण दीजिए।

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असीरियन मूर्तिकला – मूर्तिकला के क्षेत्र में असीरियन कलाकारों ने कोई खास सफलता प्राप्त नहीं की। मनुष्यों की मूर्तियों की अपेक्षा पशुओं की मूर्तियों के निर्माण में यहाँ के कलाकारों को अधिक सफलता प्राप्त हुई हैं मानव मूर्तियों में असुरवनिपाल की विशाल आकार की मूर्ति, जो सम्प्रति ब्रिटिश संग्रहालय में सुरक्षित है, अत्यधिक प्रभावोत्पादक है। पशु मूर्तियों के अन्तर्गत वृषभ, सिंह, अश्व आदि की अनेक मूर्तियाँ प्राप्त होती हैं जो अत्यन्त सजीव तथा आकर्षक हैं।

रिलीफ चित्रों के अंकन में असीरियन कलाकारों ने सबसे अधिक सफलता प्राप्त की थी। इस कला का असीरियनों के लिये वही महत्व था जो यूनानियों के लिए मूर्ति कला तथा इटली निवासियों के लिए चित्र कला का रिलीफ चित्रों के सबसे प्राचीन नमूने असुरनसिरपाल द्वितीय के समय के हैं। इनमें निनर्तु के मन्दिर में बनाया गया ‘मर्दुक तियामत ‘युद्ध’ का चित्र सर्वाधिक सुन्दर है। असुरबनिपाल के समय के एक चित्र में नदी के किनारे बसे हुए शत्रु नगर पर असीरियन सेना के आक्रमण का उत्कीर्ण चित्र उल्लेखनीय है।

प्राचीन मिस्र में मरणोत्तर जीवन की अवधारणा को प्रस्तुत कीजिए।

कलख से प्राप्त शम्शी अदद सत्तम की चुने पत्थर पर खुदी हुई मूर्ति भी प्रसिद्ध हैं। उत्कीर्ण चित्रों में देवी तथा मानव दोनों ही आकृतियाँ करीब-करीब एक ही प्रकार की पशुओं की मूर्तियों उत्कीर्ण करने में कलाकारों को अत्यधिक सफलता प्राप्त हुई है। इनमें खोरसाबाद (सारगोनपुर) से प्राप्त खरगोन द्वितीय काल का घोड़ा, सेनाक्रेरिव के निनिवेह महल में अंकित पायल सिंहनी और असुरबनियाल के समय के ‘मरणासन्न सिंह’ तथा ‘शेर के शिकार’ आदि उत्कीर्ण चित्र रिलीफ के क्षेत्र में उत्कृष्ट उदाहरण माने जा सकते हैं।

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