असीरियन लिपि भाषा एवं साहित्य – असीरियन ने बेबिलोनिया की कीलाक्षर लिपि को सरल तथा लोकप्रिय बनाया। यहाँ सुमेरियन तथा बेबिलोनयिन भाषाओं के साथ ही साथ ऐरेमियन भाषा का भी प्रचलन था। सारगोन के काल में ऐरेमियन भाषा सर्व प्रचलित भाषा थी। असीरियनों के पास अपना काई मौलिक साहित्य नहीं था यहाँ के साहित्यकारों ने
सुमेरियन तथा बेबीलोनियन साहित्य के अनुवाद तथा संरक्षण में ही संतोष प्राप्त किया। उन्हें हम कुशल अनुवादक कह सकते हैं। उन्होंने बेबीलोनिया के प्रमुख ग्रन्थों का अनुवाद तथा संपादन किया। बेबिलोनिया के प्रमुख ग्रन्थों- गिल्गेमिश महाकाव्य तथा विश्व सृजन की कथा का ज्ञान सर्वप्रथम उनके असीरिया से मिले हुए संस्करणों से ही प्राप्त हुआ। बेबीलानियन साहित्य के संरक्षण के लिए असीरियन नरेशों ने पुस्तकालयों की स्थापना करवाई थी। असुरवनिपाल के समय के एक पुस्तकालय के अवशेष मिलते हैं।
हुविष्क के जीवन काल पर प्रकाश डालिए।
विशुद्ध असीरियन साहित्य मुख्यतः देव वाणियों का है। इनके ही माध्यम से असीरियन पुजारी जनता के बीच में भांति- भोति की भविष्यवाणी किया करते थे अपना प्रभाव रखने के लिये इन्हें गूढ़ बनाये रहते थे।