असीरियन एवं बेबीलोनियन सभ्यता में सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

असीरियन एवं बेबीलोनियन सभ्यता – यदि हम दोनों सभ्यताओं के विभिन्न पक्षों का तुलनात्मक अध्ययन करें तो स्पष्ट होगा कि वासतव में असीरियनों ने बेबीलोनियन सभ्यता के विविध तत्वों को ग्रहण कर उसमें आवश्यकतानुसार परिवर्तन तथा परिवर्धन कर अपनी परिस्थिति के पूर्ण अनुकूल बना लिया किन्तु इस कार्य में कहीं भी उन्होंने अपनी मौलिकता का परित्याग नहीं किया। असीरियन सभ्यता को बेबीलोनियन और सुमेरियन सभ्यताओं के साथ वही सम्बन्ध था जो रोम की सभ्यता का यूनानी तथा क्रीट की सभ्यताओं के साथ रहा।

संगम युग के महाकाव्य शिलप्पादिकारम् का वर्णन कीजिए।

जिस प्रकार रोम ने यूनान के पतन काल यूनानी तथा यूनानी सभ्यता के माध्यम से क्रीट की सभ्यता के अधिकांश तत्व को जीवित रखा तथा उसे दूर-दूर तक प्रसारित किया ठीक उसी प्रकार असीरियनों ने बेबीलोनियन सभ्यता के माध्यम से सुमेरियन सभ्यता के अधिकांश तत्वों को जीवित रखा तथा उसे पश्चिमी एशिया के विभिन्न देशों में फैलाया। यदि असीरिया न होता तो बेबीलानिया का अधिकांश ज्ञान-विज्ञान पश्चिमी देशों में फैले बिना ही विलुप्त हो गया होता।

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