निरौपचारिक शिक्षा
अर्थपचारिक शिक्षा की परिभाषा इस शिक्षा को गैर औपचारिक शिक्षा तथा औपचारिकेत्तर शिक्षा के नाम से भी जाना जाता है। यह शिक्षा औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षा का मिला जुला रूप है। इस शिक्षा में औपचारिक शिक्षा के समान न तो अनेक नियमादि होते हैं और न ही अनौपचारिक शिक्षा जैसा खुलापन। निरौपचारिक अथवा औपचारिकेत्तर शिक्षा में छात्रों की आवश्यकता अथवा परिस्थिति के अनुरूप ऐसी लचीली शिक्षा प्रणाली अपनायी जाती है, जिसमें शिक्षा सम्बन्धी सभी औपचारिकताओं व सुविधाओं को ध्यान में रखकर कार्यक्रम संचालित किये जाते है ताकि वे सभी के लिए सम्भव व उपयोगी बन सकें। यह शिक्षा समयबद्ध नहीं होती है। आवश्यकतानुसार हर परिस्थिति में व्यवस्थित की जाती है।
औपचारिकेत्तर अथवा निरौपचारिक शिक्षा की परिभाषा विद्वानों द्वारा दी गयी इस शिक्षा की प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित है
कुण्डू के अनुसार- निरौपचारिक शिक्षा नियोजित होती है। परन्तु पूर्णता विद्यालयी नहीं, यह शिक्षा विद्यालय के बाहर योजनाबद्ध किन्तु औपचारिक शिक्षा की तरह नहीं होती।
” वार्ड तथा डेटम के अनुसार- “निरौपचारिक शिक्षा एक नियोजित अनुदेशात्मक अभिकल्प है, जो नियमित नीति द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बाह्य तथा आन्तरिक दोनों प्रकार की विधियों का प्रयोग अधिक लचीले वातावरण में करता है।”
औपचारिकेत्तर/निरौपचारिक शिक्षा की विशेषताएँ
- निरौपचारिक शिक्षा पद्धति किसी निश्चित समयावधि तक नहीं होती बल्कि जीवन पर्यन्त चलती रहती है।
- औपचारिकेत्तर अथवा निरौपचारिक शिक्षा की समयावधि तथा अन्य कार्यक्रमों का निर्धारण छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखकर किया जाता है।
- औपचारिक अथवा निरोपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों के संचालन में लचीलापन होता है और उद्देश्य सामान्य शिक्षा का प्रसार करना होता है। इसकी कक्षाएँ सुविधाजनक स्थानों जैसे- धर्मशाला, खेत, मिलों के प्रांगण या सार्वजनिक स्थानों पर आयोजित की जाती है परन्तु लचीलापन होने के बावजूद निरौपचारिक शिक्षा नियोजित व व्यवस्थित होती है।
- औपचारिकेत्तर शिक्षा के अनुदेशक के कर्तव्य सामान्य अध्यापक से भिन्न होते हैं क्योंकि प्रायः स्थानीय व्यक्ति ही अपने रोजगार के साथ-साथ अंशकालिक रूप से सेवाभाव से परिपूर्ण होकर अनुदेशक के उत्तरदायित्व को निभाता है।
- निरोपचारिक शिक्षा का पाठ्यक्रम यद्यपि निर्धारित होता है परन्तु छात्रों की विशिष्ट आवश्यकतानुसार उसमें परिवर्तन भी किया जाता है।
- यह शिक्षा पद्धति साक्षरता नहीं प्रदान करती बल्कि पूर्ण व्यक्तित्व प्रदान करती है।
- निरोपचारिक शिक्षा के अन्तर्गत संचालित कार्यक्रम जन-शिक्षा के प्रसार तथा निरक्षरता उन्मूलन में प्रमुख रूप से सहायक है क्योंकि भारत जैसी विशाल जनसंख्या वाले राष्ट्र के लिए कम व्यय में अधिक व्यक्तियों के लिए सामान्य शिक्षा की व्यवस्था की जा सकती है।
- औपचारिकेत्तर शिक्षा पद्धति का प्रयोग अनेक राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा भी निर्धनों तथा महिलाओं के विकास में किया जा रहा है तथा उन संस्थाओं के कार्यक्रम भी इसी पद्धति पर संचालित किये जाते हैं।
- निरौपचारिक शिक्षा पाठ्यक्रम की मूल्यांकन विधि अत्यन्त ही व्यावहारिक होती है क्योंकि इस विधि में व्यक्ति स्वयं अपना मूल्यांकन करके देखता है कि उसकी कार्यकुशलता, मनोवृत्ति तथा व्यवहार में कौन-कौन से परिवर्तन आये हैं।
- यह शिक्षा पद्धति व्यक्तिगत और राष्ट्रीय दोनों समस्याओं के निदान में महत्वपूर्ण योगदान देती है। जैसे जनसंख्या वृद्धि, चेचक-मलेरिया उन्मूलन, जन-शिक्षा, महिला शिक्षा, टीकाकरण, सफाई, पोषण सम्बन्धी समस्याओं वयस्क शिक्षा, पर्यावरण सुरक्षा, सिंचाई एवं जल वितरण समस्याएँ, वन सुरक्षा इत्यादि विषय पर जानकारी देकर सम्बन्धित सन्देशों को संचार माध्यमों की सहायता से जनमानस तक पहुँचाने का कार्य किया जाता है।
निरौपचारिक शिक्षा के उद्देश्य
(1) निरौपचारिक शिक्षा के शैक्षिक उद्देश्य
निरौपचारिक शिक्षा का उद्देश्य मनुष्य का ज्ञान तथा कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करना तथा औपचारिक शिक्षा के प्रयासों को सार्थक बनाना है। निरौपचारिक शिक्षा का उद्देश्य उन लोगों को भी शिक्षित बनाना है, जो सुंदर गांव अथवा ऐसे स्थानों पर निवास करते हैं जहाँ वे औपचारिक शिक्षा का लाभ उठा पाने में असमर्थ होते हैं। ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों तथा दुर्गम व असुविधाजनक स्थानों के निवासियों की शिक्षा का उद्देश्य सामान्य शिक्षा से भिन्न होते हैं। अतः निरौपचारिक शिक्षा कार्यकर्ताओं द्वारा उन्हें उनके कार्यक्षेत्र से सम्बन्धित जानकारियां दी जाती है तथा उन्हें अक्षर ज्ञान कराकर आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जाता है।
(2) निरौपचारिक शिक्षा के भौतिक उद्देश्य-
निरौपचारिक शिक्षा के भौतिक उद्देश्य से सम्बन्धित क्षेत्र भी अत्यन्त विस्तृत है। इसका उद्देश्य व्यक्ति का जीवन स्तर समुन्नत बनाना उसके लिए रोजगार के अवसर बढ़ाकर आर्थिक समृद्धि आर्थिक विकास या अर्थव्यवस्था में समृद्धि लाना है क्योंकि व्यक्ति के जीवन में खुशहाली धन कमाने से ही आती है, जिसके लिए व्यवसायिक कुशलता का ययोचित विकास निरौपचारिक शिक्षा के माध्यम से किया जाता है। इसमें परम्परागत जड़ता के शिकार उद्योगों जैसे-बईगीरी, बुनकरी, कुम्हारगीरी, चर्म उद्योग, खिलौने टोकरी बनाना तथा मुर्गी पालन के लिए भी आधुनिक तकनीकी की जानकारी देने की व्यवस्था करना भी निरौपचारिक शिक्षा केन्द्रों का उद्देश्य है।
(3) निरोपचारिक शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य
निरोपचारिक शिक्षा के सामाजिक उद्देश्य के अन्तर्गत सुद्ध सामाजिक परिवेश के निर्माण हेतु व्यक्ति के सामाजिक विकास की परियोजना की जाती है, जो व्यक्ति तथा समाज दोनों की उन्नति के लिए आवश्यक है। इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु ऐसे कार्यक्रम नियोजित किये जाते हैं जिससे व्यक्ति में सह-अस्तित्व, सहभागिता, सहयोग, एकता, परस्पर प्रेम जैसी भावनाओं का विकास होता है। इससे सामाजिक संगठन मजबूत तथा सुरक्षित बनता है। इसके अधीन निरौपचारिक शिक्षा का उद्देश्य एक स्वस्थ विकासोन्मुख सामाजिक वातावरण का निर्माण है जो रूढ़िवादी परम्पराओं प्रथाओं तथ अंधविश्वासों से जकड़े अशिक्षित वर्ग को परिवार नियोजन, जनसंख्या तथा प्रौढ़ शिक्षा की सहायता से समुन्नत समाज की स्थापना में सहयोग करने के लिए प्रेरित कर सके।
(4) निरौपचारिक शिक्षा के सामुदायिक उद्देश्य
निरौपचारिक शिक्षा के सामुदायिक उद्देश्य का तात्पर्य शिक्षा से सम्बन्धित उन सभी कार्यों से हैं, जो किसी समुदाय विशेष की तात्कालिक परिस्थितियों के अनुकूल निर्माण के लिए आवश्यक है। जैसे-यातायात नियमों की जानकारी, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता सम्बन्धी नियम व टीकाकरण, पेयजल व्यवस्था, गृह निर्माण के लिए उपयेगी बातें की जानकारी दी जाती है। इसके अतिरिक्त कृषि उत्पादन पद्धतियों, उद्योग-धंधों की तकनीकी, पर्यावरण सुरक्षा, प्रदूषण रोकने के उपाय वृक्षारोपण जैसी जानकारी भी निरौपचारिक शिक्षा कार्यक्रमों की सहायता से दिये जाने का प्रयास हो रहा है। इससे व्यक्ति आत्मनिर्भर बनकर सामुदायिक भावना से परिपूर्ण अपने परिवेश के स्वस्थ निर्माण के प्रति उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के लिए प्रेरित होता है।
भारतीय समाज में धर्म की क्या भूमिका है?
(5) निरौपचारिक शिक्षा के सांस्कृतिक उद्देश्य-
निरौपचारिक शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को अपनी संस्कृति की रक्षा तथा सांस्कृतिक परम्पराओं का निर्वहन किये जाने की शिक्षा दी जाती है। निरौपचारिक शिक्षा को संस्कृति रक्षा के क्षेत्र में किये जा रहे प्रयासों को उसका सांस्कृतिक उद्देश्य कहा जाता है।
- Top 10 Best Web Hosting Companies in India 2023
- InCar (2023) Hindi Movie Download Free 480p, 720p, 1080p, 4K
- Selfie Full Movie Free Download 480p, 720p, 1080p, 4K
- Bhediya Movie Download FilmyZilla 720p, 480p Watch Free
- Pathan Movie Download [4K, HD, 1080p 480p, 720p]
- Badhaai Do Movie Download Filmyzilla 480p, 720p, 1080, 4K HD, 300 MB Telegram Link
- 7Movierulz 2023 HD Movies Download & Watch Bollywood, Telugu, Hollywood, Kannada Movies Free Watch
- नारी और फैशन पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।