अर्णोराज चामान के विषय में आप क्या जानते हैं?

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अर्णोराज चाहमान अपने पिता के पश्चात् सन् 1130 ई. में चाहमान सिंहासन पर बैठा। इसका काल सन् 1130 ई. से सन् 1150 ई. तक था। अर्णोराज एक महान शासक था। उसने महत्वपूर्ण सैनिक उपलब्धि की उसने को विजित किया और परमार नरेश को पराजित किया। अर्णोराज ने पूर्वी पंजाब में भद्र तथा सिन्ध की विजय की उसके समय में चाहमान सेनाओं ने तोमरों के राज्य क्षेत्र हरितानक (हरियाणा) पर अधिकार किया था। उसने चालुक्य नरेश जयसिंह सिद्धराज पर आक्रमण किया लेकिन इस युद्ध में अणराज पराजित हुआ। तत्पश्चात् उसने जयसिंह की पुत्री से विवाह कर अपनी शक्ति में वृद्धि की किन्तु जयसिंह की मृत्यु के बाद नये चालुक्य नरेश कुमार पाल से उसका संघर्ष आरम्भ हुआ, जिसमें अर्णोराज की पराजय हुई।

अर्णोराज ने कूटनीति से काम लेते हुए अपनी पुत्री जल्हणादेवी का विवाह कुमार पाल से करके मधुर सम्बन्ध स्थापित कर लिया। अर्णोराज शैव धर्म को मानने वाला था। उसने अजमेर में अनेक मन्दिरों के निर्माण हेतु भूमिदान दिया। उसने पुष्कर में वाराह मन्दिर का भी निर्माण किया। अर्णोराज चामान की हत्या सन् 1150 ई. में उसके पुत्र जगदेव ने कर दी और सिंहासन पर अधिकार कर लिया।

चाहमान (चौहान) वंश का संक्षिप्त इतिहास लिखिए।

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