अन्तः क्रियावाद (मीड) की व्याख्या कीजिए।

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अन्तः क्रियावाद (मीड) – जे.एच. मीड ने “माइन्डसेल्फ एण्ड सोसाइटी” में जो सिद्धान्त प्रस्तुत किया है उससे प्रतीकात्मक अन्तक्रियावादी सिद्धान्त आधार पीठिका तैयार हुयी प्रतीकात्मक अन्तर्क्रियावादी सिद्धान्त के निर्माण हेतु मीड ने अपनी इस पुस्तक में मुख्य रूप से चार अवधारणाओं को रखा है। वे इन्हीं चारों अवधारणाओं के माध्यम से प्रतीकात्मक अन्तर्क्रियावादी सिद्धान्त का निर्माण करते हैं। मीड की ये चार अवधारणाएँ इस प्रकार हैं (1) स्व (2) स्व का अन्तर्क्रिया (3) स्व का विकास (4) प्रतीकात्मक अभिप्राय ।

(1) ‘स्व’ मौड ने ‘स्व’ को अवधारणा को प्रतीकात्मक अन्तर्क्रियावाद की बुनियाद माना है। स्व की अवधारणा पर प्रतीकात्मक अन्तर्क्रियावादी सिद्धान्त को खड़ा करने का प्रयास मीड ने किया है। मीड के अनुसार ‘स्व’ मानव प्राणी को परावर्ती और प्रतिवर्ती क्षमता को उजागर करता है। यह ‘स्व” ही है जिसके कारण वैशिष्ट मानवीय समाज सम्भव हो पाया है। जिसमें व्यक्ति द्वारा अपने विषय में धारणा निहित होती है। मीड का ‘स्व’ सृजनात्मक सावयव है जो हमेशा क्रियाशील रहता है। ‘स्व’ अपने आप में एक सामाजिक प्रक्रिया है। ‘स्व’ और ‘स्व’ में अन्तर्क्रिया होती है।

(2) ‘स्व-अन्तर्क्रिया

मीड मानते हैं ‘स्व’ और बाह्य जगत् के बीच अन्तर्क्रिया हमेशा चलती रहती है जिसके परिणाम स्वरूप नए प्रतीकों को अर्थ मिलता रहता है। अन्तर्क्रिया के ‘दौरान ‘स्व’ के कोष में प्रतीकों की संख्या बढ़ती जाती है। स्व बाह्य जगत् से अन्तर्क्रिया करता है तर्क करता है। बाह्य जगत् के बीच तर्क एवं ‘स्व’ हमेशा चलता रहता है।

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(3) स्व का विकास

मीड के प्रतीकात्मक अन्तर्क्रियावाद की बुनियादी बात ‘स्व’ का विकास है। यदि मीड के अनुसार शिशु को समाज के नियम, आदर्श, मूल्य मानक व्यवहार जीने के तरीके आदि किसी की जानकारी नहीं होती है। धीरे-धीरे वह जैवकीय प्राणी से सामाजिक प्राणी में बदला जाता है और यह सब ‘स्व’ के द्वारा सम्भव होता है।

(4) प्रतीकात्मक अभिप्राय

मनुष्य की अधिकांश क्रिया अन्तर्क्रिया प्रतीकों द्वारा संचालित होती हैं। सभी प्रतीको का एक ही अर्थ समझते हैं। मीड संकेतों को प्रतीक के अर्थ में लेते हैं। मीड के अनुसार संकेत ऐसे तत्त्व हैं जिन्हें स्व ने अन्तरस्थ कर लिया है संकेत एक सामान्य प्रतीक है। प्रतीकों के माध्यम से मनुष्य अन्तर्क्रिया करता है। प्रतीकों के अभिप्राय से मनुष्य की अन्तर्क्रिया का मूल कारण स्पष्ट होता है।

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