सीनेट की विशिष्ट कार्यप्रणाली: अमेरिकी फिलिवेस्टर व्यवस्था सीनेट में एक अपूर्व स्वतन्त्रता सदस्यों को प्राप्त है। कोई भी सदस्य जब तक चाहे सीनेट में बोलता रह सकता है। इस प्रकार उसके बोलते रहने की शक्ति को फिलिस्टरिंग कहते हैं जिसका अर्थ है- बेलगाम वास्तव में सीनेट के सदस्य किसी विधेयक को जिसे वे पसन्द नहीं करते, समाप्त करने के लिए कितनी भी देर तक कुछ भी बोल सकते हैं। 1953 में एक सीनेट सदस्य मोर्स लगातार 22 घण्टे और 26 मिनट तक बोलते रहे। सीनेट के सदस्यों के सम्बन्ध में भाषण देने की इस अतुलनीय स्वतन्यता का दुरुपयोग हुआ है।
पहले 1917 में और बाद में 1949 में नये नियम के अनुसार यदि 16 सीनेट सदस्य यह प्रस्ताव करें कि बहस समाप्त हो जाये, तो बहस समाप्त हो जाती है। इसका अर्थ यह हुआ कि किसी सदस्य को फिलिस्टरिंग से रोकने के लिए दो-तिहाई सदस्यों की इच्छा होनी चाहिए। यह कोई सरल काम नहीं है।
“भारतीय संविधान का स्वरूप संघात्मक है, परन्तु उसकी आत्मा एकात्मक।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
अतः केवल आपत्तिकाल में ही इसका प्रयोग होता है। उन अपवादस्वरूप स्थितियों को छोड़कर जब सीनेट के सदस्यों ने फिलिबस्टर के अधिकार का दुरुपयोग किया है, सामान्यतः उसकी शान में वृद्धि हुई है। उन्हें अपने विचार व्यक्त करते समय बीच में टोका नहीं जाता है। इससे प्रतिनिधि सभा की तुलना में सीनेट की मान और मर्यादा बढ़ती है।