अमेरिका के संघीय न्याय व्यवस्था – अमेरिका संविधान निर्माता देश में एक स्वतंत्र, सशक्त, निष्पक्ष राष्ट्रीय न्यायपालिका की स्थापना आवश्यक मानते थे। यह आवश्यकता इसलिए भी अनुभव की गयी कि संघीय न्यायपालिका नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा, राज्यों के बीच परस्पर विवादों के निपटारे, केन्द्र और राज्यों के बीच विवादों के फैसले, राज्यों की स्वायत्तता की रक्षा, संघीय कानून की व्याख्या और उनके पालन तथा संविधान के रक्षण के लिए आवश्यक मानी गयी। मुनरो ने लिखा है- “अतः संविधान निर्माताओं ने निश्चय किया कि सभी इकाइयों को परस्पर जोड़ने वाली एक सर्वोच्च, स्वतंत्र संघीय न्यायपालिका अत्यन्त आवश्यक है।”
अमेरिका के संविधान में संघीय न्यायपालिका के सम्बन्ध में अनुच्छेद 3 में वर्णन किया गया है। सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना के सम्बन्ध में कहा गया है- “न्याय सम्बन्धी शक्ति एक सर्वोच्च न्यायालय और उन अन्य नीचे के न्यायालयों में निहित होगी, जिनकी स्थापना कांग्रेस विधि द्वारा समय-समय पर करेगी।” स्पष्ट है कि संविधान ने एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की बात कही है।
संघीय न्यायपालिका का संगठन (Composition of Federal Judiciary)
अमेरिका की न्यायपालिका की विभिन्न शाखाओं का संगठन कांग्रेस के अधिवेशन द्वारा हुआ है. संविधान द्वारा नहीं। संविधान में केवल यही लिखा है कि देश में एक सर्वोच्च न्यायालय है । उसके संगठन की कोई व्यवस्था संविधान में नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय का गठन भी कांग्रेस के है अधिनियम द्वारा किया गया है।
संघीय न्यायपालिका में शिखर पर सर्वोच्च न्यायालय है। सर्वोच्च न्यायालय के अधीन उसकी तीन शाखाएँ हैं। उनका संक्षेप में वर्णन इस प्रकार है
(1) दावा न्यायालय (Court of Claims)
इसकी स्थापना 1885 में हुई। इस न्यायालय का स्थान वाशिंगटन है। इसमें संघीय शासन के विरुद्ध नागरिकों के दावों की सुनवाई होती है।
(2) आयात-निर्यात तथा पेटेण्ट्स अपील न्यायालय (Court of Customs and Patent Appeals)
यह न्यायालय आयात-निर्यात शुल्क तथा पेटेण्ट्स के न्यायालयों के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनाता है। इस न्यायालय में पाँच न्यायधीश होते हैं।
इस न्यायालय के अधीन एक पृथक आयात-निर्यात शुल्क न्यायालय (Court of Customs) है। इसमें नी न्यायाधीश होते हैं यद्यपि न्यायालय का स्थान न्यूयार्क है तथापि न्यायाधीश बन्दरगाहों पर भ्रमण करते रहते हैं।
( 3 ) अपील के सर्किट न्यायालय (Circuit Court of Appeal)
यह सर्वोच्च न्यायालय के नीचे न्यायालय है। इसके नीचे जिला न्यायालय होते हैं। सम्पूर्ण देश में 11 सर्किट न्यायालय हैं तथा सर्वोच्च न्यायालय के एक-एक न्यायाधीश को एक-एक सर्किट का भार सौंप दिया जाता है। प्रत्येक सर्किट में तीन से लेकर छः न्यायाधीश होते हैं। इन न्यायालयों का कार्य, जिला न्यायालय के निर्णयों के विरुद्ध अपील सुनना है।
इस न्यायालय के नीचे तीन प्रकार के न्यायालय होते हैं। दो तो जिला न्यायालय और तीसरा कर न्यायालय कर न्यायालय में कर सम्बन्धी विवाद उठाये जाते हैं।
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(4) जिला न्यायालय (District Courts)
जिला न्यायालय की दृष्टि से सम्पूर्ण राज्य को 91 जिलों में बाँटा गया है। इनमें लगभग 350 न्यायाधीश दीवानी और फौजदारी मुकदमों का निर्णय करते हैं। इन्हें प्राथमिक न्यायालय (Trial Courts) भी कहते हैं. जिनका अधिकार क्षेत्र केवल प्रारम्भिक है, पुनर्विचार सम्बन्धी नहीं जिला न्यायालय दो प्रकार के हैं। एक तो वह जिला न्यायालय, जो हर जिले में होते हैं और केवल संधीय स्तर के विवादों पर निर्णय देते हैं। दूसरे कोलम्बिया जिले के न्यायालय, जिनमें संघीय के स्थान पर स्थानीय स्तर के विवादों पर भी निर्णय दिया जाता है।
इस प्रकार संघीय न्यायालयों की व्यवस्था एक पिरामिड के सदृश है, जिसमें शिखर पर सर्वोच्च न्यायालय है और सबसे नीचे जिला न्यायालय। सभी न्यायाधीशों की संख्या का निर्धारण कांग्रेस करती है और न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है। नीचे के स्तरों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति महान्यायविद के परामर्श के आधार पर करता है।