अलाउद्दीन शाह (1443-1476) – मुहम्मदशाह की मृत्यु के बाद उसका पुत्र. अलाउद्दीन ‘आलमशाह’ सुलतान बना। वह सैय्यद वंश का अंतिम शासक था। उसके राज्याभिषेक के अवसर पर राज्य के सभी अमीरों ने उसके प्रति नि प्रदर्शित की। इस समय तक राज्य की स्थिति और अधिक बिगड़ चुकी थी। महत्वाकांक्षी अमीर स्वतंत्र होने का प्रयास कर रहे थे। राज्य में जगह-जगह विद्रोह हो रहे थे। प्रशासन पर वजीर का नियंत्रण बढ़ता जा रहा था। स्थिति वस्तुतः नियंत्रण के बाहर थी। नए सुलतान में इतनी योग्यता नहीं थी कि वह विघटनकारी तत्वों का दृढ़ता से सामना कर सके। फलतः उसके साथ ही सैय्यदों की सत्ता भी समाप्त हो गई।
राष्ट्रीय राज्यों की क्या उपलब्धियाँ थीं?
निर्वासन सुलतान बनने के बाद अलाउद्दीन ने समाना के विद्रोह को दबाने के लिए प्रस्थान किया परन्तु शर्की सुलतान के दिल्ली पर आक्रमण की अफवाह सुनकर वह रास्ते से ही वापस लौट आया। उसके इस अविवेकपूर्ण कार्य का उसके वजीर ने विरोध किया। अपने वजीर हुसाम खाँ की सलाह को ठुकरा कर वह 1447 ई. में बदायूँ चला गया। उसने दिल्ली का प्रशासन अपनी पत्नी के दो भाइयों को जो क्रमशः शहनाए शहर और अमीरे कोह थे, सौंपा और 1448 ई. में स्थायी रूप से बदायूँ में बस गया।