अलबरूनी, एक प्रसिद्ध लेखक और इतिहासकार था। वह 11वीं शताब्दी में महमूद गजनवीं के साथ भारत आया था। उसने ‘किताब-उल-हिन्द’ नामक पुस्तक लिखी है। जिसमें सन् 1017 से 1030 ई. के बीच भारतीय जीवन का अध्ययन एवं निरीक्षण है। राजनीतिक स्थिति के विषय में अलबरूनी ने केवल उत्तरी भारत, गुजरात, मालवा, कन्नौज, पाटलिपुत्र आदि के बारे में ही लिखा है दक्षिण भारत के किसी भी राज्य के विषय में उसने नहीं लिखा है उसके अनुसार भारतीय शासकों में कोई पारस्परिक एकता नहीं है।
उसने भारतीय जाति प्रथा की कठोरता उसके दुष्परिणाम और अछूतों की स्थिति के बारे में भी लिखा। उसने लिखा है कि भारत में जाति प्रथा इतनी कठोर है कि यदि एक बार एक व्यक्ति को जाति से बहिष्कृत कर दिया जाय तो उसे पुनः जाति में सम्मिलित नहीं किया जा सकता। उसने भारतीय सामाजिक कुरीतियों मुख्यता सतीप्रथा के बारे में लिखा है। उसके अनुसार भारतीय अभिमानी थे। वे अपनी भाषा, संस्कृति देश आदि सभी को सर्वश्रेष्ठ मानते थे। उसके अनुसार भारत आर्थिक दृष्टि से एक सम्पन्न देश था।
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उसने भारतीयों की मुद्रा व्यवस्था और नाप तौल के साधनों के सम्बन्ध में भी लिखा उसके विवरण के अनुसार भारत में विदेशी व्यापार की तुलना में आन्तरिक व्यापार अधिक मात्रा में था। उसने लिखा कि भारतीय राजाओं को अपनी प्रजा से कर लेने का अधिकार था और कृषकों से वह उत्पादन की 1/6 भाग लगान के रूप में लेते थे जो उनकी आय का मुख्य साधन था।