Essay Hindi Literature

आतंकवाद अथवा उग्रवाद पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।

प्रस्तावना-अपनी शक्ति एवं प्रभुत्य से, नैतिक-अनैतिक कार्यों द्वारा जनमानस में विकलता की स्थिति पैदा कर अपना उद्देश्य सिद्ध करने का सिद्धान्त ही ‘आतंकवाद’ कहलाता है। अप्रत्यक्ष युद्ध द्वारा जन-मन एवं सत्ता पर अपने उद्देश्य प्राप्ति हेतु भय का वातावरण निर्माण करने का सिद्धान्त ही आतंकवाद है। आतंकवाद सत्ता के लिए खुली चुनौती है, कानून एवं व्यवस्था की मौत है; निर्दोष नागरिक के जीवन जीने के अधिकार का अपहरण है तो धन सम्पत्ति की असुरक्षा की घंटी है। आतंकवाद लोकतान्त्रिक शासन-प्रणाली के मुँह पर चाँटा है। वर्तमान समय में आतंकवाद केवल भारतवर्ष की ही नहीं, अपितु एक अन्तर्राष्ट्रीय समस्या बन चुका है।

आतंकवाद अथवा उग्रवाद का जन्म एवं स्वरूप

आतंकवाद की जन्मदात्री पश्चिमी सभ्यता है। प्रथकतावाद द्वारा इसका जन्म होता है। मन-वान्छित वस्तु को प्राप्त करने के लिए संघर्ष तथा संहार करना, अपहरण, लूटपाट, हत्या, बलात्कार, हिंसा, मारकाट, बम-विस्फोट, आगजनी आदि माध्यमों से प्रशासन को पंगु कर अपनी इच्छित वस्तु देने के लिए बाध्य करना ही उग्रवादियों का मुख्य उद्देश्य है। भारत में आतंकवाद की शुरुआत बंगाल के उत्तरी छोर पर नक्सवादियों ने की थी। 1967 में शुरू हुआ यह आतंकवाद तेलगांना, श्री काकूल के नक्सलवादियों ने तेजी से फैलाया। 1975 में लगे आपातकाल के बाद नक्सलवाद का अन्त हो गया। तत्पश्चात् सन् 1991 ई. में उग्रवाद ने फिर अपनी जड़े फैलानी प्रारंभ कर दी। प्रारम्भ में यह समस्या पंजाब, कश्मीर तथा असम में मुँह फैलाए खड़ी थी। पंजाब में खालिस्तान की माँग ने विकराल रूप धारण कर लिया परन्तु आज पंजाब का उग्रवाद समाप्त हो चुका है। आज कश्मीर में आतंकवाद अपनी चरम सीमा पर है। आज उग्रवादी जब चाहे किसी का भी अपहरण कर हत्या कर देते हैं, बसों को उड़ा देते हैं। अनेक नेताओं, बुद्धिजीवियों तथा सामाजिक कार्यकर्त्ताओं का अपहरण करना आज आम बात बन चुकी है।

आतंकवादियों का जन्म

आतंकवादी गतिविधियों के पीछे किसी बड़ी शक्ति अथवा संगठन का हाथ अवश्य होता है। यह शक्ति देशी भी हो सकती है, विदेशी भी । ये लोग अपने स्वार्थ की सिद्धि हेतु घिनौना खेल खेलते हैं। आतंकवादी गतिविधियों के संचालन हेतु धन-राशि बाहर से आती है तथा उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाता है। हमारा पड़ोसी देश तो कश्मीरियों और पाकिस्तानियों को बेवकूफ बनाकर, लालच देकर तथा कई प्रकार के सुनहरे सपने दिखाकर उग्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। इन्हीं कारणों से यह समस्या जटिल से जटिलतर होती जा रही है।

आतंकवाद के विभिन्न रूप

भारतवर्ष में विभिन्न नामों से आतंकवादियों का बोलवाला है। नागालैण्ड, मिजोरम, असम एवं त्रिपुरा में उल्का, बोडो एवं नागा आतंकवादियों का प्रभुत्व है। वे जब चाहे नरसंहार कर डालते हैं, तो कभी बम विस्फोट कर देते हैं। पंजाब आतंकवाद का भयंकर परिणाम देख चुका है।जम्मू-कश्मीर में तो हम सालों से आतंकवाद के नाम पर अघोषित युद्ध लड़ रहे हैं। श्रीलंका का ‘तमिल संगठन’ भी भारत के आतंक की दुनिया में प्रवेश कर चुका है। भारत के अतिरिक्त अन्य देशों में भी आतंकवादी संगठन कार्यरत है। केन्या में ‘माऊ-माऊ’, गुप्त आतंकवादी संगठन, दक्षिणी में ‘वियतकांग संगठन’ एवं उत्तरी आयरलैंड में ‘आयरिश रिपब्लिकन आर्मी’ नामक संगठन शक्तिशाली गिरोह है। आज अलकायदा, जैश महुम्मद, लश्करे तैयबा आदि मुख्य आतंकवादी संगठन हैं।

आतंकवाद के दुष्परिणाम

भारतवर्ष के आतंकवाद ने अनेक बड़ी-बड़ी आहुतियाँ ली हैं। हमारे दो प्रधानमन्त्री, शीर्षस्थ नेता, पत्रकार, वीरता चक्र व पदकों से सम्मानित सैन्य एवं पुलिस अधिकारियों सहित अनेक पत्रकार आतंकवाद की आग में भस्म हो चुके हैं। सन् 1993 ई. में महाराष्ट्र के मुम्बई शहर में एक साथ तीन सौ लोगों की जान गई तथा कितने ही अपंग हो गए। 27 दिसम्बर, 1999 को आतंकवादियों ने इंडियन एयरलाइंस के विमान को हाइजैक कर लिया तथा उसे कन्धार ले गए। इस विमान के अपहत यात्रियों के बदले आतंकवादियों ने अपने नेता मौलाना मसूद अजहर व अन्य साथियों को छुड़ाने की माँग की तथा उसी मौलाना मसूद अजहर ने रिहा होने के बाद 13 दिसम्बर, 2001 को भारतीय लोकतन्त्र के प्रतिरूप भारतीय संसद भवन पर आत्मघाती हमला कराया। सन् 2001 में 11 सितम्बर को विश्व के सबसे खतरनाक आतंकवादी ओसामा विन लादेन ने विश्व के सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर को धाराशायी कर दिया। इसके अतिरिक्त विश्व की सबसे सुरक्षित इमारत समझी जाने वाली ‘पेन्टागन’ पर भी अपहत विमान को गिरा दिया। नतीजा वही हजारों लोग मारे गए। इसके बाद 1 अक्टूबर, 2001 को जन्मू की विधानसभा तथा 13 दिसम्बर, 2001 को 11 बजकर 40 मिनट पर भारत के ‘संसद भवन’ पर भी आतंकवादियों ने हमला बोल दिया। इनके अतिरिक्त आतंकवादियों ने अहमदाबाद (गुजरात) के ‘अक्षरधाम मन्दिर’, जम्मू के पवित्र ‘रघुनाथ मन्दिर’, अयोध्या में ‘श्रीराम जन्म भूमि परिसर’, श्रीनगर की ‘हजरतबल दरगाह’ आदि अनेक पवित्र धार्मिक स्थलों पर अनेकों बार हमले किए तथा अनगिनत बेगुनाहों को मौत के घाट उतार दिया।

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परन्तु आतंकवादियों का सबसे खतरनाक हमला 26 नवम्बर, 2008 को मुम्बई (महाराष्ट्र) में दिखाई पड़ा, जब आतंकवादियों ने मुम्बई के प्रसिद्ध होटल ‘ताज पैलेस‘ एवं ‘नरीमन हाउस‘ को घेर लिया। होटल में कितने ही देशी-विदेशी पर्यटन आतंक के साये में रहे तथा कितने ही लोग मारे गए। पुलिस से आपसी मुठभेड़ में कई आतंकवादी मारे गए परन्तु एक जिन्दा आतंकवादी पुलिस के हाथ आ गया, जिसका नाम ‘कसाब’ है और जो पाकिस्तान से सम्बन्ध रखता है। इस भयानक हमले से हमारा पूरा देश आज भी सहमा हुआ है तथा मुम्बई तो जैसे सदमे के साये में ही जी रहा है। इसके पश्चात् 3 मार्च, 2009 को आतंकवादियों ने पाकिस्तान के लाहौर शहर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमला किया। उनकी बस पर गोलियों की बौछार कर दी। सौभाग्यवश कोई भी खिलाड़ी मौत का ग्रास नहीं बना, हाँ छह खिलाड़ी घायल अवश्य हो गए।

आतंकवादी समस्या का समाधान

इस विश्वव्यापी समस्या के समुचित समाधान के लिए विश्व के सभी राष्ट्र चिन्तित एवं प्रयत्नशील हैं। सरकारी स्तर पर सभी देशों में आम सहमति एवं सहयोग भी है परन्तु अभी तक इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया है। विश्व जनमत एवं विश्व की सरकारों के समर्थन से ही इसका समाधान निकल सकता है। आतंकवादी गतिविधियों अन्तर्राष्ट्रीय अपराध है तथा इन पर कठोरतम दण्ड का विधान ही इस समस्या का हल निकाल सकता है।

उपसंहार – आतंकवादी रूपी राष्ट्रघाती वाद को सत्ता के आतंक से दबाना होगा। मनोबल से इसके विरुद्ध आक्रामक रुख अपनाना होगा। स्वार्थी कूटनीतिज्ञों एवं आतंकवादियों के पक्षपातियों को सबक सिखाना होगा। तभी भारतीय जनता सुख चैन की साँस लेगी तथा राष्ट्र उन्नति के शिखर पर अग्रसर हो पाएगा।

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