आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में क्या परिवर्तन आया है?

आधुनिक भारतीय समाज में स्त्रियों की स्थिति में निम्नलिखित परिवर्तन आये हैं –

(1) सामाजिक जागरुकता स्त्री-

शिक्षा के प्रसार के कारण स्लियों की सामाजिक चेतना में भी वृद्धि हुई हैं। वर्तमान में स्त्रियाँ पर्दा प्रथा और संयुक्त परिवार प्रथा को बेकार मानने लगी हैं। स्त्रियों के विचारों व दृष्टिकोणों में परिवर्तन के कारण वे अन्तर्जातीय विवाह, प्रेम-विवाह व विलम्ब विवाह तथा स्त्री शिक्षा व आर्थिक स्वतन्त्रता को अच्छा मानने लगी हैं। वे रूढ़िवादी विचारों से हटकर नये तार्किक आदर्शों और मूल्यों को स्वीकारने लगी है। वर्तमान में वे घरों से बाहर निकलकर पुरुषों के साथ कार्य करती हैं. अनेक पार्टियों व सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं तथा समाज कल्याण से सम्बन्धित कार्यों को भी करती हैं। सामाजिक क्षेत्र में भारत में स्त्रियों की स्थिति पहले से अधिक अच्छी है।

(2) पारिवारिक स्थिति में सुधार

परिवार और विवाह के क्षेत्र में आज स्त्रियों की स्थिति पहले से कहीं अधिक उच्च है। आज वह पुरुष की दासी नहीं बल्कि सहयोगिनी है। उसके पारिवारिक अधिकारों में वृद्धि हुई है। बच्चों की शिक्षा, परिवार की आय के उपयोग, पारिवारिक अनुष्ठानों व गृह प्रबन्ध में स्त्रियों महत्वपूर्ण निर्णय लेने लगी हैं।

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(3) आत्मनिर्भरता

आर्थिक दृष्टि से आज स्त्रियाँ आत्मनिर्भर होने लगी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली 80 प्रतिशत महिलाएँ आर्थिक दृष्टि से कोई न कोई कार्य करती रहीं। हैं। नगरों में निम्नवर्गीय स्त्रियाँ भी गृह कार्यों और उद्योगों के माध्यम से कुछ न कुछ कमाती रही हैं, किन्तु भारतीय समाज में मध्यम और उच्च वर्ग की महिलाएँ पुरुषों पर निर्भर रही हैं। उनका घर से बाहर जाकर कार्य करना बुरा समझा जाता था । किन्तु स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् औद्योगीकरण, आधुनिकीकरण, पश्चिमीकरण तथा नवीन आर्थिक व्यवस्था के कारण वे भी नवीन व्यवसाय व सरकारी नौकरियाँ करने लगी हैं। वर्तमान में स्त्रियाँ शिक्षण संस्थाओं. अस्पतालों, व्यापारिक संस्थानों, भारतीय व राज्यों की प्रशासनिक व पुलिस सेवाओं में भी कार्य करने लगी हैं।

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