समाजशास्त्र की विषय-वस्तु की विवेचना कीजिए।
समाजशास्त्र की विषय-वस्तु-विषय-वस्तु का तात्पर्य वे निश्चित विषय हैं जिनके विषय में सामाजशास्त्रीय अध्ययन किये जाते हैं। इस संदर्भ में […]
समाजशास्त्र की विषय-वस्तु-विषय-वस्तु का तात्पर्य वे निश्चित विषय हैं जिनके विषय में सामाजशास्त्रीय अध्ययन किये जाते हैं। इस संदर्भ में […]
अर्थ एवं परिभाषा – समाजशास्त्र एक नवीन विज्ञान है, जिसके जनक अगस्ट कॉम्ट थे। अगस्ट कॉम्ट ने 1838 में सर्वप्रथम
अध्ययन क्षेत्र का तात्पर्य एक ऐसी सम्भावित सीमा से होता है जिसके अन्तर्गत ही किसी ज्ञान को विकसित किया जाता
समाज का वैज्ञानिक अध्ययन समाजशास्त्र की सबसे साधारण परिभाषा लेस्टर फ्रैंक वार्ड एवं ग्राहम समनर ने की है। उन्होंने समाजशास्त्र
समाजशास्त्र को विज्ञान मानने के प्रमुख आधार या कसौटियाँ/प्रकृति निम्नलिखित है- समाजशास्त्र में तथ्यों का वर्गीकरण एवं विश्लेषण किया जाता
समाजशास्त्र की वास्तविक प्रकृति का स्पष्टीकरण राबर्ट वीर स्टीड ने इस प्रकार दिया है- समाजशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जो
समाजशास्त्र की वास्तविक विषय-वस्तु सामाजिक सम्बन्ध ही है (Subject matter of Sociology is Social Relationship as such) – समाजशास्त्र को
प्लेटो का आदर्श राज्य- प्लेटो प्रजातन्त्र राज्य के स्थान पर नये राज्य की स्थापना चाहता था। वह दार्शनिक और धार्मिक
भाषा – प्रेमचंद सर्वप्रथम उर्दू में लिखते थे। हिन्दी में लेखन कार्य उन्होंने बाद में आरम्भ किया और यह तथ्य
जोहरा एक वेश्या के रूप में- जोहरा एक वेश्या है जिसे पुलिस वाले रमा के पास भेजते हैं ताकि वह