सामुदायिक भावना– एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र में पर्याप्त समय तक निवास करने के कारण तथा जीवन की समरूपता के कारण समुदाय के सभी सदस्य आपस में एक विशेष निकटता का अनुभव करने लगते हैं। वे सम्पूर्ण समुदाय दुख अथवा सुख को अपना दुख या सुख मानने लगते हैं। इस प्रकार हम की भावना की अभिव्यक्ति करते हैं। व्यक्ति उसी प्रांत एवं उसी जिले का हो, तो उसकी आत्मीयता और भी बढ़ जाती है। यह आत्मीयता ही व्यक्ति को दूसरों के लिए सर्वस्व निछावर करने को प्रेरित करती है, जो सामुदायिक जीवन का आधार है। आधुनिक युग में जबकि नगरीय क्षेत्रों में विभिन् क्षेत्रों, जातियों, भाषा भाषियों, संस्कृतियों तथा स्वार्थी वाले लोगों का बोलबाला होता है। सामुदायिक भावना नाममात्र की भी नहीं मिलती। व्यक्ति अपने पड़ोसियों तक के बारे में अनभिज्ञ रहता है, जबकि समुदाय में निवास करने वाला लगभग समुदाय के समस्त लोगों के बारे में जानता है।
महत्व- सामुदायिकता की भावना समुदाय का सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। सामुदायिकता की भावना ही व्यक्तियों में यह चेतना उत्पन्न करती है कि “हम सब एक हैं।’ इसी के कारण एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की सफलता को अपनी सफलता और दूसरे की कठिनाई को अपनी कठिनाई समझने लगता है। गिडिंग्स ने इसे “समानता की चेतना’ कहा है।
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