सामाजिक समूह की परिभाषा तथा विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

सामाजिक समूह की परिभाषा

सामाजिक समूहों का तात्पर्य कुछ व्यक्तियों में शारीरिक समीपता होना नहीं है, बल्कि समूह की प्रमुख विशेषता कुछ व्यक्तियों द्वारा एक-दूसरे से सम्बन्ध स्थापित करना अथवा एक-दूसरे के व्यवहारों को प्रभावित करना है। सामाजिक समूह की परिभाषा को कुछ लेखकों ने इस प्रकार प्रस्तुत किया है

विलियम्स “सामाजिक समूह मनुष्यों के उस निश्चित संग्रह को कहते हैं, जो एक-दूसरे के साथ क्रिया करते हैं और इस अन्तःक्रिया की इकाई के रूप में ही अन्य सदस्यों के द्वारा पहचाने जाते हैं।

” मैकाइवर “समूह से हमारा तात्पर्य मनुष्य के किसी भी ऐसे संग्रह से है, जो एक-दूसरे से सामाजिक सम्बन्धों द्वारा “

सर्वशिक्षा अभियान के प्रमुख घटक ‘शिक्षा गारण्टी योजना’ की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।

विशेषताये

सामाजिक समूहों की विशेषताओं को विद्वानों ने इस प्रकार प्रस्तुत किया है

  1. एक समूह के सदस्य कुछ विशेष स्वार्थों द्वारा बंधे रहते हैं।
  2. साधारणतया एक समूह के सभी सदस्य अपने आपको व्यवहार के समान नियमों से बँधा हुआ महसूस करते हैं। यह स्थिति भी उन्हें एक दूसरे के समीप लाने में सहायता करती है।
  3. यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति कुछ समूहों का सदस्य अवश्य होता है, लेकिन समूहों में व्यति की सदस्यता उसके लिंग, आर्थिक स्थिति, सामाजिक प्रतिष्ठा, शिक्षा, योग्यता तथा व्यक्तिगत रुचियों के आधार पर निर्धारित होती है।
  4. प्रत्येक समूह के सदस्य “समानता की चेतना’ द्वारा एक-दूसरे में बंधे रहते हैं। यही भावना उन्हें अपने समूह को संगठित रखने की प्रेरणा देती है।
  5. एक सामाजिक समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों का संग्रह है।
  6. कुछ लोगों में शारीरिक समीपता होने से ही समूह का निर्माण नहीं हो जाता बल्कि समूह का निर्माण उन लोगों से होता है जो एक-दूसरे को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हों।

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