सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।के दो प्रमुख स्वरूप क्या है?

व्यक्तिक उद्देश्य के दो प्रमुख स्वरूप

सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के व्यक्तिक उद्देश्य के अन्तर्गत व्यक्ति के व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास करना होता है। इसके अन्तर्गत व्यक्ति अधिक सफल और समुचित जीवन व्यतीत कर सके और उसकी निजी विशेषतायें पूर्ण रूप से विकसित हो सकें, उसका वातावरण सुन्दर और रमणीय बनाया जा सके तथा उसकी जन्मजात क्षमताओं, प्रवृत्तियों, योग्यताओं आदि का अधिकतम विकास हो सकें। इसका ध्यान रखा जाता है। शिक्षा में मनोवैज्ञानिक प्रवृत्ति के समावेश से बालक की व्यक्तिगत भिन्नाताओं को ध्यान में रखकर इस प्रकार की शिक्षा पर महत्व दिया जाने लगा है। यद्यपि इस प्रकार की शिक्षा भारत जैसे गरीब देश में देना व्यवहारिक रूप से कम ही सम्भव हो पाता है। व्यक्तिक उद्देश्य के दो प्रमुख स्वरूप निम्न है

सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।

  1. शिक्षकों से व्यक्तिगत शिक्षण प्राप्त करना।
  2. इन्टरनेट के माध्यम से शिक्षा प्राप्त करना।

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