सर्वशिक्षा अभियान के घटक ‘ब्रिजकोर्स कार्यक्रम’ का वर्णन कीजिए।

ब्रिजकोर्स कार्यक्रम (Bridge Course Programme)-

ग्रामों और शहरों के संकटग्रस्त समूहों के बच्चे जो कठिन परिस्थितियों में हैं, जैसे कि बाल श्रमिक, बन्धुआ मजदूर बच्चे जो सामन्ती व्यवस्था के शिकार हैं और औपचारिक विद्यालयीय व्यवस्था (Formal School System) से बाहर हैं ऐसे स्कूल से वंचित (Out of School) बच्चों को मुख्य धारा की औपचारिक शिक्षा व्यवस्था में लाना एक कठिन कार्य है।

ब्रिजकोर्स में प्रायः स्कूल से बाहर (Out of School) के बच्चों का आवासीय शिविर लगाया जाता है। जिसमें ऐसे बच्चों को एक साथ एकत्रित कर 3-6 माह तक रखा जाता है। समयावधि उनकी आवश्यकता पर निर्भर करती है। उन्हें शिक्षण प्रदान कर उस स्तर तक तैयार किया जाता है, जहाँ से वे औपचारिक विद्यालयों में प्रवेश ले सकते हैं।

शहरों में बड़े कठिन क्षेत्र या पॉकेट (Difficult Pockets) हैं जैसे कि मलिन बस्तियाँ, फुटपाथ पर रहने वाले कूड़े-कचरे के ढेरों पर रहने वाले, ऊंचे पहाड़ों पर रहने वाले, जंगलों में रहने वाले आदि जिसमें शिक्षा की मांग बहुत कम है। ऐसे क्षेत्रों में भी सर्वशिक्षा अभियान का प्रवेश हो चुका है, यहाँ बच्चे प्रायः अपने परिवारों में ही रहते हैं, अतः आवासीय शिविरों की आवश्यकता नहीं होती और ‘ब्रिजकोर्स’ बहुत सरल ढंग से चलाने का प्रयास किया जाता है।

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शहरों में ब्रिजकोर्स तीन निम्नलिखित सोपानों में चलता है

  1. मलिन बस्तियों में अनौपचारिक तरीके से एक छोटा सामाजिक समूह ( Social ओ Group) बनाया जाता है और कार्यक्रम दो माह के लिए चलाया जाता है इस कार्यक्रम में धीरे धीरे क्रमशः साक्षरता (Literacy) और गणितीय कौशल (Numeracy Skills) सिखा दिया जाता है। दो माह के ब्रिजकोर्स के पश्चात बहुत से 6-7 वर्ष आयु वर्ग वाले बच्चे नगरमहापालिका के स्कूलों में कक्षा 1 में प्रवेश के लिए तैयार हो जाते हैं।
  2. यदि नगर महापालिका स्कूलों में स्थान उपलब्ध हो जाता है तो कक्षाओं को इन स्कूलों में स्थानान्तरित (Shift) कर लिया जाता है। जो 8-10 वर्ष आयु के बच्चे औपचारिक विद्यालयों में प्रवेश लेकर छोड़ चुके हैं और आगे कक्षा 2-3 में प्रवेश लेना चाहते, उन्हें इन कक्षाओं के लिए तैयार कर दिया जाता है।
  3. विभिन्न आयु वर्ग और तैयारी वाले बच्चों को औपचारिक विद्यालयों में प्रवेश दिला कर, उन्हें पूरी प्राथमिक शिक्षा तक रुकने के लिए सहायता प्रदान की जाती है। सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा (UPE) के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सर्वशिक्षा अभियान के

ब्रिजकोर्स कार्यक्रम की सफलता ने भी कार्य समूहों (Action Groups ) तथा विभिन्न उपक्रमों (Initiatives) में उत्साह का संचार किया है।

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