समाज में सहयोग व संघर्ष दोनों विद्यमान होते हैं।” व्याख्या कीजिए।

समाज में सहयोग व संघर्ष

जार्ज सिमेल का कथन है कि “समाज में दोनों प्रकार की शक्तियाँ विद्यमान होती है-एक तो वह जो मनुष्य को एकता के सूत्र में बांधती हैं और दूसरी शक्तियाँ वे हैं जो समाज को एक-दूसरे से अलग करती हैं। इसका अर्थ यह है कि समाज सहयोग और संघर्ष दोनों से मिलकर बना है। जहाँ एक तरफ समाज में व्यक्ति सहयोग के आधार पर कार्य करता है, वहीं दूसरी तरफ अनेक कारणों से न कभी-कभी उनके बीच विरोध, प्रतियोगिता और संघर्ष भी पनपता है। एक समय में दो व्यक्ति मित्र हो सकते है और दूसरे समय पर वे ही मित्र एक-दूसरे के कट्टर शत्रु बन सकते हैं। प्रेम और आदर्शोंों को मानने वाले पति-पत्नी में दूसरे समय झगड़ा हो जाना स्वाभाविक है। इससे यह स्पष्ट होता है कि समाज में सहयोग और संघर्ष एक-दूसरे से पृथक दो भिन्न तथ्य नहीं है बल्कि सामाजिक जीवन के दो अनिवार्य पहलू हैं।

सबके लिए शिक्षा से आप क्या समझते हैं ? इसके अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य की विवेचना कीजिये।

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