शिक्षण पद्धतियों के विषय में यूनीसेफ की भूमिका का वर्णन कीजिए।

यूनीसेफ की भूमिका का वर्णन

यूनीसेफ की भूमिका का वर्णन यूनीसेफ के अनुसार शिक्षण पद्धति गरीब देशों में लड़कियों का श्रम परिवार के बुनियादी अस्तित्व के लिए आवश्यक होता है। वहाँ ऐसे उपाय प्रभावशाली सिद्ध होते हैं जो माता-पिता को स्कूल और कामकाज में चुनाव करने को बाध्य न करें। अतः स्कूल और कामकाज के बीच समन्वय का उपाय प्रभावशाली सिद्ध हो सकता है।

(1) लड़कियों की शिक्षा में बाधा डालने वाले कारणों को पहचाने और उनका विश्लेषण कर नैदानिक अध्ययन तैयार करें-योजना बनाने वालों को ऐसे नैदानिक अध्ययन तैयार करने चाहिए जिनमें लड़कियों की शैक्षिक गतिविधियों में बाधा डालने वाले सांस्कृतिक कारणों को जानने का प्रयत्न किया गया हो, ताकि भविष्य में अर्थपूर्ण कार्यक्रम बनाए जा सके।

(2) लचीली समय-सूची बनायें- दैनिक समय सूची में ऐसा सुधार किया जा सकता है। कि दोपहर में लड़कियों को घर के काम-काज करने का समय मिल जाय। लचीलापन वर्ष भर में कार्यक्रमों में परिलक्षित होना चाहिए। समय सूची में कोई भी परिवर्तन उस समुदाय की आवश्यकता के अनुरूप होना चाहिए क्यों कि उसका प्रभाव बच्चों पर पड़ता है।

(3) अलग-अलग इकाइयों में शिक्षा दें जब घरेलू व मौसमी जिम्मेदारियाँ लड़कियों के स्कूल जाने में बाधा डालती है तो वे बाकी लड़कियों से पिछड़ जाती हैं फलस्वरूप वे पढ़ाई छोड़ देती हैं। अलग-अलग इकाइयों में शिक्षा प्रदान करना एक नया ढंग है। इसके कारण बीच में पढ़ाई रोकना और लौटना पर फिर से शुरू कर देना सरल है। अगर इकाइयों को दिन में अलग-अलग समय पर और वर्ष में अलग-अलग अवधियों में पढ़ाया जाय तो लड़कियाँ सारेवर्ष पाठ्यक्रम के साथ जुड़ी रहेंगी।

बहुविधि शिक्षा पद्धति को बढ़ावा दें

बहुविधि शिक्षा पद्धति के अन्तर्गत औपचारिक शिक्षा के अतिरिक्त गैर औपचारिक प्रशिक्षण स्कूल/केन्द्र, अपरम्परागत वैकल्पिक स्कूल, प्रौढ़ साक्षरता केन्द्र, परम्परागत तथा आधुनिक संचार सूचना प्रणालियों द्वारा सामान्य ज्ञान तथा कौशलों व व्यवसायों की जानकारी प्रदान की जाती है।

सामाजिक दृष्टि से भारत में शिक्षा के उद्देश्य बताइए।

लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बहुविधि शिक्षा प्रणाली महत्वपूर्ण नीति बन जाती है। निम्नलिखित उपाय बहुविधि शिक्षा प्रणाली द्वारा बुनियादी शिक्षा प्रदान करते हैं

  1. प्रयोगात्मक ‘स्कूल’ अपार जनसंख्या को अपना केन्द्र बिन्दु बनाते हैं और दूर दराज के देहाती बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।
  2. क्षेत्रीय शैक्षिक साधन केन्द्र बहुत से प्रयोगात्मक, छोटे, अपरम्परागत और वैकल्पिक स्कूलों को सहायता तथा साधन प्रदान करते हैं।
  3. अपरम्परागत, वैकल्पिक स्कूलों और औपचारिक पद्धति के बीच सम्बन्ध दृढ़ हो ताकि बच्चा जब चाहे, औपचारिक स्कूलों में प्रवेश पा सके।
  4. प्रौढ़ और बच्चों को अपने केन्द्र या स्कूल की ओर आकर्षित करने के लिए, गैर औपचारिक प्रशिक्षण केन्द्र और अपरम्परागत केन्द्रों को स्कूलों द्वारा जो प्रमाणपत्र जारी किए जाते हैं वे औपचारिक स्कूलों के प्रमाण-पत्रों के समकक्ष हो। यूनीसेफ (UNICEF) द्वारा चलाए गए ‘चेली बेटी’ और ‘ग्राक’ कार्यक्रम इस बात के प्रमाण है कि बहुविधि शिक्षा प्रणाली चुनौतियों से भरी स्थिति का भी सामना कर सकती है।

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