लोक जुबिश और महिला समाख्या कार्यक्रम की विवेचना कीजिए।

लोक जुबिश (Lok] Jumbisha)-

लोक जुबिश राजस्थान में स्वीडन के इन्टरनेशनल डेवलपमेन्ट एजेन्सी (International Development Agency) के सहयोग से ‘लोक बिश नाम की अभिनय परियोजना (Innovative Schemes) शुरू की गयी थी, जिसका उद्देश्य सन् 2000 तक जनता के सहयोग और सहभागिता (Support Participation) से सभी के लिए, शिक्षा (EPA) के लक्ष्य को प्राप्त करना था। इस योजना का पहला चरण सन् 1992-1994 तक था इसके लिए ब्रिटिश के अन्तर्राष्ट्रीय विकास विभाग’ (Inernational Development Department) से आर्थिक सहायता प्राप्त है।

इस परियोजना ने प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापक प्रशिक्षण, शिक्षा का न्यूनतम स्तर (MLL) नए विद्यालयों की स्थापना, औपचारिकेतर केन्द्र आदि कार्यक्रमों में हस्तक्षेप (Intervention) किया है।

शिक्षा कर्मी (Shiksha Karmi)

शिक्षा कमी परियोजना का उद्देश्य राजस्थान के दूरस्थ तथा पिछड़े गाँवों में प्राथमिक शिक्षा सर्वसुलभ करना और इसमें गुणात्मक सुधार करना है। इस योजना में लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है।

यह परियोजना राजस्थान के 150 ब्लॉकों के 3692 गाँवों में चलायी जा रही है। यह योजना स्वीडिश इन्टरनेशनल डेवलपमेन्ट ऐजेन्सी (Swedish International Development Agency) की सहायता से 1987 में प्रारम्भ हुई। इस परियोजना के तीसरे चरण (जुलाई 1999 जून 2003) को ब्रिटेन के अन्तर्राष्ट्रीय विकास विभाग (DFID) की आर्थिक सहायता से चलाया गया।

इस परियोजना में कठिन परिस्थितियों में काम करने वाले शिक्षाकर्मियों को प्रेरणा देना, समय-समय पर कारगर प्रशिक्षण (Functional Training) देना, उनकी देखभाल करना, समुदाय का सहयोग दिलाना और उनकी समस्या को दूर करने का प्रयास करना निहित है। इस योजना के सफल होने के कारण इसे राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है।

महिला समाख्या (Mahila Samakhya)-

महिला समाख्या कार्यक्रम, ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं, विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ी महिला वर्गों को शिक्षा और अधिकार सम्पन्न करने का एक ठोस कार्यक्रम है। यह योजना 10 राज्यों के 53 जिलों के 9,000 से अधिक गाँवों में चलायी जा रही है।

इस योजना का उद्देश्य है-महिलाओं की छवि और आत्म विश्वास को बढ़ाना; ऐसे वातावरण का निर्माण करना, जिसमें महिलाएँ वह ज्ञान और सूचना प्राप्त कर सकें जो उन्हें समाज में रचनात्मक भूमिका निभाने में सहायता प्रदान करे, प्रबन्ध का विकेन्द्रीकृत और भागीदारी (Decentralised and Participatioin Full) तरीके का प्रयोग करना, महिला संघों (Women Federations) को गाँवों में शैक्षिक गतिविधियों का मूल्यांकन और निरीक्षण करने योग्य बनाना, महिला और किशोर उम्र की लड़कियों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना तथा औपचारिक व औपचारिकतर शिक्षा कार्यक्रमों में उनकी भागीदारी को बढ़ाना।

संस्कृति का शिक्षा का प्रभाव डालिए।

‘महिला संघ’ वे केन्द्र बिन्दु है जहाँ सभी गतिविधियों की योजना बनाई जाती है। और जहाँ महिलाएँ मिल-बैठकर अपनी समस्याओं पर विचार कर सकती है।

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