राष्ट्रीय आय लेखांकन की कठिनाइयाँ Difficulties of National Accounting

राष्ट्रीय आय लेखांकन की कठिनाइयाँ (Difficulties of National Accounting)-

नेल्सन के निम्न सन्तुलन पाश सिद्धान्त से क्या आशय है ?

  1. दोहरी गणना की समस्या (Problem of Doube Counting)- राष्ट्रीय आय लेखांकन में सबसे बड़ी समस्या दोहरी गणना की है जो अन्तिम एवं मध्यवर्ती वस्तुओं में सही अन्तर न कर पाने के कारण पैदा होती है। उदाहरण के लिए गेहूँ का आटा एक परिवार के लिए अन्तिम उत्पाद एवं बेकरी के लिए मध्यवर्ती उत्पाद है। यदि इसे अन्तिम उत्पाद मानकर गणना की जाय तो निष्कर्ष गलत निकलेंगे।
  2. लेखों की अपूर्णता (Incomplete Accounts)- राष्ट्रीय आय लेखांकन में कुछ लेखे अपूर्ण रह जाने के कारण उनसे अर्थव्यवस्था की सही जानकारी नहीं मिलती। इन अपूर्ण लेखों के कुछ उदाहरण है पुराने क्रय-विक्रय से उत्पन्न भुगतान, पूँजी का हस्तान्तरण एवं विदेशों से प्राप्त उपहार, अनुदान इत्यादि ।
  3. घिसावट की माप की कठिनाई (Difficulty in Measuring the Depreciation )- उत्पादन के क्षेत्र में कुछ मशीनों की अवधि दीर्घकाल की होती है तथा उनमें प्रतिवर्ष कुछ-न-कुछ घिसावट होती है किन्तु इसका मौद्रिक माप काफी कठिन होता है। पूँजीगत वस्तुओं की कीमतों में परिवर्तनों से यह कठिनाई और भी बढ़ जाती है।
  4. मौद्रिक माप की कठिनाई (Difficulty of Monetary Measure)- जिन वस्तुओं एवं सेवाओं की माप मुद्रा में किया जा सकता है, उन्हें राष्ट्रीय आय लेखांकन में शामिल किया जा सकता है, किन्तु कुछ ऐसी वस्तुएँ एवं सेवाएँ हैं जिनका माप सम्भव नहीं है जैसे एक गृहिणी की घरेलु सेवाएँ घर के बगीचे में पैदा की गयी सब्जियाँ, इत्यादि। इनसे आय लेखांकन में कठिनाई होती है।
  5. लोक सेवाओं की माप में कठिनाई (Difficulty in Measuring the Public Services )- कुछ सेवाएँ ऐसी होती हैं जिनका उत्पादन में कोई प्रत्यक्ष हाथ नहीं दिखता। अतः राष्ट्रीय आय लेखांकन में उनके शामिल किये जाने में कठिनाई होती है जैसे मिलिटरी एवं स्वास्थ्य सेवाएँ। इनका मौद्रिक माप सम्भव नहीं हो जाता।

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