महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम कब पारित किया गया? विस्तृत वर्णन

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, जिसे महात्मा गांधी नरेगा कहा जाता है, विश्व में अग्रणी अधिकार आधारित विधानों में से एक है। हाल ही के यूएनडीपी ग्लोबल ह्युमन डेवलपमेंट रिपोर्ट (जीएचडीआर, 2015) ” में विश्व में किए जा रहे सामाजिक सुरक्षा उपायों में हुई उपलबंधियों में महात्मा गांधी नरेगा का उल्लेख किया गया है, जिसकी तुलना बांग्लादेश में सार्वजनिक परिसंपत्तियों के लिए ग्रामीण रोजगार (केवल ऐसे परिवारों के लिए जिनकी मुखिया गरीब महिलाएं हैं), अर्जेंटीना में जेफेस डी होगर और नेपाल में द लिमिटेड कर्नाली इंप्लॉयमेंट प्रोग्राम जैसी समतुल्य योजनाओं से की जा सकती है। लाभार्थियों के समावेशी मानदंड की दृष्टि से बांग्लादेश और नेपाल में चलाए जा रहे इन कार्यक्रमों का दायरा सीमित है। आप को इस आर्टिकल में नरेगा ,मनरेगा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम की पूरी विस्तृत जानकारी नीचे शेयर कर रहे हैं-

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (Mahatma Gandhi National Rural Employment Gurantee Act-MNREGA)

ग्रामीण बेरोजगारी, भूख और गरीबी से निजात पाने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना का शुभारम्भ प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 2 फरवरी, 2006 को आंध्र प्रदेश के अन्रतपुर जिले से किया, पहले चरण में वर्ष 2006-07 के दौरान देश के 27 राज्यों के 200 चुनिंदा जिलों में इस योजना का कार्यान्वयन किया गया था। इसमें सर्वाधिक 23 जिले बिहार के सम्मिलित थे, जबकि गोआ के 2 जिलों में से कोई भी जिला इसमें शामिल नहीं था पहले चरण के कार्यान्वयन के लिए चयनित 200 जिलो में वह 150 जिले शामिल थे, जहाँ काम के बदले अनाज (Food for work) कार्यक्रम पहले से चल रहा था काम के बदले अनाज’ योजना व संपूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना का विलय अब इस नई योजना में कर दिया गया है। 1 अप्रैल 2008 से इस योजना को संपूर्ण देश में लागू कर दिया गया है, वर्तमान में 684 जिलों के 6863 विकासखण्डों की 262839 ग्राम पंचायतों में लागू है।

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इस योजना के तहत चयनित जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को वर्ष में कम से कम 100 दिन अकुशल श्रम वाले रोजगार की गांरटी दी गई है। (प्रत्येक परिवार एक वित्तीय वर्ष में 100 दिनों का रोजगार प्राप्त कर सकता है तथा इसका विभाजन परिवार के वयस्क सदस्यों के बीच किया जा सकता है) जिन आदिवासियों को वन अधिकारों अधिनियम, 2006 के तहत कतिपय अधिकार प्राप्त हुए हैं वे किसी वर्ष अधिकतम 100 दिवस का रोजगार प्राप्त कर लेने के उपरांत 50 अतिरिक्त दिनों का गारण्टीयुक्त रोजगार प्राप्त कर सकते है इन्हें अलग रंग का जॉब कार्ड दिया गया है। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार ने सूखा प्रभावित क्षेत्रों में किसी वित्तीय वर्ष में गारण्टी युक्त रोजगार दिवसों को 100 से बढ़ाकर 150 कर दिया है। राज्यों में कृषि श्रमिकों के लिए लागू वैधानिक न्यूनतम मजदूरी का भुगतान इसके लिए किया जाता है जो 60 से कम नहीं होगी वर्ष 2011-12 (नवम्बर 2011 तक) में वास्तविक मजदूरी दर को बढ़ाकर 120 प्रतिदिन कर दिया गया है।

केन्द्र सरकार के महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम (NREGA) का नाम 2009 में बदलकर अब औपचारिक रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) कर दिया गया है।

केन्द्र सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना- ‘मनरेगा’ (MNREGA) के तहत मजदूरों को दी जाने वाली मजदूरी की दरों को खेतिहर मजदूरों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index for Agricultural Labourers) से सम्बद्ध करने की घोषणा 6 जनवरी 2011 को की थी।

सामाजिक समस्याओं के संदर्भ में समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण

ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने की केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘मनरेगा’ (MNREGA) योजना के तहत वर्ष 2016-17 के दौरान 5.109 करोड़ परिवारों तथा 7.64 करोड़ व्यक्तियों को रोजागर उपलब्ध कराए गए, कुल मिलाकर 234.56 करोड़ श्रम दिवस रोजगार का सृजन संदर्भित वर्ष में इस योजना के तहत किया गया जिनमें से 56.11% महिला, 21.28% अनुसूचित जाति तथा 17.57% अनुसूचित जनजाति के लिए थे वर्ष 2012-13 के बजट में रु. 33,000 करोड़ का आवंटन इस योजना के लिए किया गया है वर्ष 2013-14 के बजट में इस योजना हेतु रु.33,000 करोड़ का प्रावधान किया गया है वर्ष 2014-15 के लिए कुल आवंटन रु. 34,000 करोड़ है जिसे 2015-16 में बढ़ाकर 34,699 करोड़ किया गया है 2016-17 के बजट में मनरेगा के लिए रु. 38,500 करोड़, 2017-18 में रु. 48,000 करोड़ तथा 2018-19 में 55,000 करोड़ कर दिया गया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे निर्धनता निवारण के जीवन्त स्मारक (लिविंग मोनूमेन्टस) की संज्ञा दी है। 1 अप्रैल 2012 से मनरेगा के अंतर्गत भुगतान की जाने वाली मजदूरी की दरों को कृषि श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर संशोधित किया गया है-

कार्ल मार्क्स का रेखीय सिद्धान्त अथवा सामाजिक परिवर्तन का रेखीय सिद्धान्त।

मनरेगा के अंतर्गत 2013-14 ई. तक जाति प्रति परिवार कार्य दिवस 46 दर्शाये गये है। इसमें महिलाओं के कार्य दिवस 52.9 प्रतिशत है।

देश के विभिन्न राज्यों में मनरेगा के कार्य दिवस एवं महिलाओं का प्रतिशत

राज्य सृजित कार्य दिवस
2013-14
महिलाओं का प्रतिशत
2013-14
आन्ध्र प्रदेश5058.7%
बिहार4234.9%
गुजरात4044.0%
हरियाणा3641.0%
मध्य प्रदेश4242.1%
उत्तर प्रदेश3522.2%
राजस्थान5167.8%
पंजाब3352.8%
देश के विभिन्न राज्यों में मनरेगा के कार्य दिवस एवं महिलाओं का प्रतिशत

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम MNREGA रोजगार

  • मनरेगा के अंतर्गत प्रति वर्ष औसतन लगभग 5 करोड़ परिवार कार्य करते है।
  • प्रारंभ से लेकर अब तक 1970 करोड़ श्रम दिवस सृजित किए गए। इनमें से अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। चालू वित्तीय वर्ष में महिलाओं की भागीदारी 57 प्रतिशत है।
  • चालू वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में 45.9 करोड़ श्रम दिवस सृजित किए गए हैं जो कि पिछले 5 वर्षों में सबसे अधिक और विगत वित्तीय वर्ष 2014-15 की तुलना में 39 प्रतिशत अधिक है।
  • विगत वर्ष की तुलना में अक्तूबर 2015 में श्रम दिवस का सृजन 107 प्रतिशत और नवंबर, 2015 में 72 प्रतिशत अधिक है। दिसंबर, 2015 में भी 63 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
  • 12 जनवरी, 2016 की स्थिति के अनुसार 15.54 लाख परिवारों ने 100 दिनों का रोजगार पूरा कर लिया है और इसके अलावा 26.19 लाख अन्य परिवारों ने 81-99 दिनों का रोजगार पूरा कर लिया है।

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