परम्परागत एवं मुक्त समाज – ऐसा समाज जो अपनी पुरानी परम्पराओं पर आधारित होता है उसे परम्परागत समाज कहते हैं। परन्तु वास्तविक अर्थ में परम्परागत समाज वह रूढ़िवादी समाज है जिसकी सामाजिक व्यवस्था या संगठन में परम्परा, प्रथा, कर्म आदि का महत्वपूर्ण स्थान होने के कारण उस समाज में सामाजिक परिवर्तन व गतिशीलता अपेक्षाकृत धीमी होती है। दूसरी ओर जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि मुक्त समाज एक “खुला समाज’ या “बन्धनहीन समाज’ या ‘प्रगतिशील समाज’ है जो अपने सदस्यों पर प्रथा, परम्परा, धर्म आदि को लाद कर उनकी स्वतंत्रता में बाधा नहीं पहुँचाता। मुक्त समाज एक सीमा के अन्दर वह अप्रतिबन्धित प्रगतिशील समाज है जिसमें वैयक्तिक गुण, शिक्षा, पेशा, धन आदि के आधार पर सदस्यों का सामाजिक पद निर्धारित होता है और इसीलिए इसमें सामाजिक परिवर्तन की गति अपेक्षाकृत तेज होती है।
स्वतन्त्र भारत में जनजातीय कल्याण योजना का वर्णन कीजिए।
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