निर्देशन एवं परामर्श की दृष्टि से व्यक्ति का अध्ययन क्यों आवश्यक है?

निर्देशन एवं परामर्श व्यक्ति के द्वारा बनाया गया केन्द्र है। इसलिए यदि व्यक्ति के द्वारा बनायी गयी कोई संस्था या समूह होगा तो उसमें व्यक्ति से सम्बन्धित जरूरतों का अध्ययन जरूर किया जायेगा।

निर्देशन एवं परामर्श मानव व्यवहार से सम्बन्धित नवीन धारणाओं का विकास

सामाजिक विज्ञानों के निरन्तर विकास के फलस्वरूप मानव की प्रकृति एवं उसके विकास पर अनेक नई खोजें हुई है। नव फ्रायडवादी विचारधारा के अन्तर्गत, मानव व्यवहार के जैविक एवं सामाजिक तत्वों पर विशेष बल दिया जा रहा है, बुद्धि एवं अभिरुचि के स्थान पर प्रतिभा के विकास एवं प्रयोग को सर्वाधिक महत्व दिया गया है। यदि किसी व्यक्ति में कोई प्रतिमा है तो उसके विकास एवं उपयोग के समुचित अवसर प्रदान किए जाने चाहिए और व्यक्ति एवं समाज की प्रगति की दृष्टि से इसी का सर्वाधिक महत्व है। निर्देशन एवं परामर्शदाताओं को इन नवीन धाराणाओं से परिचित होना आज नितान्त आवश्यक है।

इन नवीन प्रवृत्तियों के अतिरिक्त रूप स्ट्रैंग ने निर्देशन की निम्नलिखित नवीन प्रवृत्तियों को विकसित करने पर विशेष बल दिया है

1. सेवार्थी केन्द्रित उपयोधन

परामर्श को परामर्शदाता केन्द्रित बनाने के स्थान पर सेवार्थी केन्द्रित बनाया जाना चाहिए। यह परामर्श, प्रार्थी की आवश्यकताओं विकास के स्तर एवं वस्तुनिष्ठ आधारों पर सम्पन्न किया जाना चाहिए।

2. विकासात्मक निर्देशन पर बल

व्यक्ति का समग्र व्यक्तित्व अखण्ड है तथा उसकी विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्धित समस्यायें भी परस्पर एक-दूसरे से सम्बद्ध होती है। अतः निर्देशन प्रदान करते समय व्यक्ति के व्यक्तित्व के समग्र पक्षों पर समन्वित रूप से ध्यान किया जाना चाहिए। साथ ही व्यक्ति की एक समस्या का अध्ययन करते समय अन्य क्षेत्रों से सम्बन्धित पक्षों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए।

3. निर्देशन कार्यक्रमों में शिक्षकों का सहयोग

यह प्रयास किया जा रहा है कि निर्देशन एवं परामर्श कार्यक्रमों में शिक्षकों की सहभागिता में वृद्धि हो सके इसका कारण यह है कि निर्देशन शिक्षा की प्रक्रिया का एक सह अंग है। शिक्षा में निर्देशन निहित है। अत: यह अपेक्षा की जाती है कि एक परामर्शदाता को शिक्षण की प्रक्रिया से भी परिचित होना चाहिए। लेकिन सर्वाधिक उचित यही हे कि एक शिक्षक को ही निर्देशन एवं परामर्श की प्रक्रिया से परिचित कराकर उनका इस दिशा में उपयोग किया जाए। निर्देशन शिक्षा एक सशक्त सहायक प्रणाली है।

निर्देशन एवं परामर्श में सामूहिक कार्य का महत्व

वर्तमान समय में यह अनुभव किया जा रहा है कि सेवार्थी को सूचित निर्देशन एवं परामर्श देने के लिए उससे सम्बन्धित अभिभावकों, शिक्षकों, मित्रों का भी सहयोग प्राप्त किया जाए। मात्र परामर्शदाता के द्वारा ही इस भूमिका का निर्वाह सार्थक रूप में किया जाना कठिन है। अतः निर्देशन व परामर्श के क्षेत्र में सामूहिक कार्यको लाहित किया जा रहा है।

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रुथ स्टैंग के समान ही आर्थर ई० ट्रेक्सलर ने निर्देशन एवं परामर्श को प्रभावी बनाने के लिए अधोलिखित नवीन प्रवृतियों को उपयोग करने पर बल दिया है

  1. निर्देशनदाताओं के प्रशिक्षण पर अधिकाधिक ध्यान देने की प्रवृत्ति अब देखने में आ रही है।
  2. निर्देशन कार्यक्रम में वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन प्रविधियों को प्रयुक्त किया जा रहा है।
  3. निर्देशन सम्बन्धी सूचनाओं के संकलन एवं उनके आलेख रखने पर विशेष बल दिया जा रहा है।
  4. निर्देशन की औपचारिक सेवाओं एवं अन्य अभिकरणों के समन्वित प्रयासों पर बल दिया जा रहा है।
  5. निर्देशन कार्य को समस्त संकाओं का सामूहिक उत्तरदायित्व स्वीकार किया जा रहा है।
  6. विद्यार्थियों की योग्यताओं एवं क्षमताओं के समुचित मापन एवं उनकी असमायोजन की अयोग्यता का उपचार करने की दिशा में विशेष रुचि प्रदर्शित की जा रही है।
  7. सेवार्थी की सफलता के सम्बन्ध में भावी कथन को विशेष महत्व दिया जा रहा है।
  8. निर्देशात्मक एवं अनिर्देशात्मक निर्देशन को समान रूप से महत्व दिया जा रहा है।
  9. अनुवर्ती अध्ययन को विशिष्ट स्थान दिया जा रहा है।
  10. व्यावसायिक सूचनाओं से सम्बद्ध स्रोतों के विकास व उन्हें सर्व सुलभ बनाने में रुचि प्रदर्शित की जा रही है।
  11. व्यक्तिगत अध्ययन की विधियों का समुचित प्रयोग करने पर बल दिया जा रहा है।
  12. सुधारात्मक कार्यों (Remedial Work) को निर्देशन सेवाओं में प्रयुक्त करने पर अधिकाधिक ध्यान दिया जा रहा है।
  13. निर्देशन एवं परामर्श के क्षेत्र में विकसित उपरोक्त प्रवृत्तियों का अध्ययन करने से यह सहज ही विदित हो जाता है कि निर्देशन सेवाओं में तीव्र गति से परिवर्तन हो रहे हैं। फिर भी हमारे देश में इन सेवाओं का प्रयोग व्यापक स्तर पर करने की अभी अत्यन्त आवश्यकता है। देश के अधिकांश विद्यार्थी एवं नव युवक इनका समुचित लाभ उठा पाने का अवसर प्राप्त नहीं कर पा रहे हैं।

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