ग्रामीण एवं नगरीय जीवन में निम्नलिखित अंतर है
- गाँवों में अधिकांश लोग कृषि कार्यों में लगे हुए होते हैं, बहुत कम लोग गैर-कृषि कार्यों से जुड़े होते हैं। इसके विपरीत शहरों में लोग-बाग यांत्रिक विधि से उत्पादन, व्यवसाय, वाणिज्य और सरकारी विभागों में नौकरियाँ करते हैं। शहरों में प्रशासन तन्त्र या व्यूरोक्रेसी व्यवस्था के नियमों के अन्तर्गत नौकरी की जाती है।
- गाँवों में प्रकृति से सीधा सम्बन्ध होता है। प्राकृतिक पर्यावरण, मानव-निर्मित सामाजिक व्यक्तिगत पर्यावरण से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रामीण लोग प्राकृतिक पर्यावरण पर अधिक निर्भर होते हैं। शहरों की प्रकृति से अलगाव होता है तथा मानव निर्मित पर्यावरण पर अधिक निर्भरता रहती है।
- ग्रामीण समुदाय छोटे होते हैं तथा नगरीय समुदाय बड़े होते हैं।
- गाँवों में जनसंख्या का घनत्व कम होता है अर्थात् प्रति वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में शहरों को अपेक्षा गाँवों में दूर-दूर रहते हैं।
- गाँवों में सभी लोगों की जीवन-शैली एक सी होती है तथा उनके सोचने-समझने का तरीका भी एक होता है, अतः ग्रामीण समुदायों में एकरूपता (होमोजिनिटी) होती है। इसके विपरीत नगरीय जीवन में हर मोहल्ले में यहाँ तक कि घर-घर में खाने-पीने, रहने सहने व बोलचाल के तरीकों में अन्तर पाया जाता है।