गबन एक समस्यात्मक उपन्यास है ? विश्लेषण कीजिए।

कोई भी साहित्यकार अपने युग की समस्याओं से अछूता नहीं रह सकता। प्रेमचंद भी ऐसे ही साहित्यकार रहे हैं जिन्होंने अपने उपन्यासों में समकालीन समाज के विभिन्न वर्गों की समस्याओं का चित्रण किया है। गबन भी प्रेमचंद का ऐसा ही समस्यात्मक उपन्यास है जिसमें समाज के निम्न मध्म वर्ग की समस्याओं का चित्रण मिलता है-

आभूषण प्रेम–

गहनों के प्रति स्त्रियों का विशेष प्रेम होता है। जब यह प्रेम अत्यधिक हो जाता है और उसकी पूर्ति न होने पर व्यक्ति कामनापूर्ति के अनन्य साधन प्रयोग करता है और इस तरह जाने-अनजाने कई समस्याओं को आमंत्रण दे बैठता है। स्त्रियों के इसी आभूषण प्रेम पर चिंतन व्यक्त करते हुए प्रेमचंद जी कहते हैं- “गहनों का मर्ज इस गरीब देश में जाने कैसे फैल गया, मैं तो कहता यह गुलामी पराधीनता से कहीं बढ़कर है। “

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जालपा भी गवन की ऐसी ही पात्र है जिसे गहनों से अत्यधिक लगाव है। विवाह में ससुराल से चंद्रहार नहीं दिया गया तो उसके जीवन में गहरी निराशा छा गई। यहाँ तक कि वह अपनी ही माँ से ईर्ष्या करने लगी। उसने तय कर लिया कि यदि उसे चंद्रहार नहीं मिला तो वह कोई और गहना तन पर धारण नहीं करेगी। किन्तु जब दफ्तर के रूपयों की क्षतिपूर्ति के लिए रमानाथ उसके वहीं गहने चुरा लेता है तो वह शोक में डूब जाती है।

प्रदर्शन या मिथ्या आत्म सम्मान-

आज यह समस्या मध्यम वर्ग की सबसे व्यापक समस्या है। रमेश बाबू, रमानाथ, दयानाथ आदि सभी इस समस्या से ग्रस्त हैं और दोहरा जीवन जी रहे हैं। वास्तव में वे कुछ और हैं दिखावे में कुछ और हैं और यह दिखाया कभी भी अंत तक नहीं रहता, कभी न कभी नाटक का परदा गिरता ही है और ऐसे समय में व्यक्ति की जो स्थिति बनती है वह अपने आप में एक समस्या है।

रिश्वत की समस्या –

आज अधिकांश व्यक्ति अपनी चादर से लंबे पैर पसारे हुए हैं। अपनी अनंत कामनाएं जिन्हें किसी भी कीमत पर पा लेने की इच्छा उसे अनैतिक रास्तों की ओर ले जाती हैं जिनमें एक है रिश्वत, रिश्वतखोरी की बीमारी आज देश की एक अहं समस्या है। जब व्यक्ति देखता है कि उसका खर्च आमदनी से कहीं बढ़कर है तो वह रिश्वत लेने का प्रयास करता है। आम धारणा है कि सरकारी नौकरों का रिश्वत लेने का बड़ा कारण उनकी आमदनी का कम – होना हैं। उन्हें अपने जीवन निर्वाह के लिए रिश्वत लेना जरूरी हो जाता है। रमानाथ एवं दयानाथ इसके सकारात्मक पहलू हैं।

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विधवा जीवन की विसंगति की समस्या-

भारत में आज भी स्त्रियों की स्थिति उतनी बेहतर नहीं है फिर उस दौर में जहाँ स्त्री शिक्षा का अभाव था, ऐसे में पति के रहते तो स्त्री कुछ न कुछ सम्मान की अधिकारी होती ही थी, साथ ही उसे अपने भरण पोषण की समस्या भी नहीं रहती। किन्तु वहीं पति के न रहने पर उसका जीवन दुरूह हो जाता है। इतना ही नहीं सिर पर किसी पुरुष का साया न होने से समाज की कुदृष्टि भी उसका जीना मुश्किल कर देती है। पति के न रहने पर स्वयं के भरण-पोषण के लिए भी उसे परिवार का मुँह ताकना पड़ता है। यदि उसका कोई पुत्र नहीं है तो उसकी स्थिति और भी निस्सहाय हो जाती परिवार के सदस्य उसकी सम्पत्ति को येन केन अधिकृत कर उसे घुट-घुटकर जीने के लिए छोड़ देते हैं। गबन में रतन ऐसी ही नारी का प्रतिनिधित्व करती है।

अनमेल विवाह –

भारत की बड़ी समस्या है ब्रेमेल विवाह अक्सर निर्धन परिवार की बेटियाँ इसका शिकार होती हैं। शिक्षा का अभाव तथा आर्थिक असमर्थता में माता-पिता अपनी बेटियों को उनसे उम्र में काफी बड़े व्यक्ति से ब्याह अपने दायित्व की इतिश्री कर देते हैं, चाहे वह उम्र भर इस वंश को झेलती रहे। रतन भी गवन की एक ऐसी ही पात्र है। गरीबी के कारण माता-पिता द्वारा एक अमीर वृद्ध को ब्याह दी जाती है, जहाँ रतन को पैसों की कोई कमी नहीं होती किन्तु नहीं है तो पति का प्यार, वह सुख जो एक पत्नी अपने पति से चाहती है। रतन अपने पति वकील इंद्रभूषण में सदैव एक पिता की सी छवि देखती है, पति का भाव उसे कभी नजर नहीं आता।

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पुलिस के वंचनापूर्ण हथकण्डों की समस्या-

आज हमारे देश में राजनेता और पुलिस ये दोनों ही सबसे अधिक व्यंग्य के पात्र बने हुए हैं। कारण पुलिस के हथकड़े जग जाहिर हैं। इस समस्या से सारा देश त्रस्त है। आज कोई भी सभ्य और सुसंस्कृत व्यक्ति पुलिस से दूरी बनाए रखने में ही अपनी सुरक्षा समझता है। कहीं उनकी वजह से वे किसी मुसीबत में न फंस जाए।

गबन उपन्यास में भी कुछ क्रांतिकारियों को डकैती का आरोप लगाकर पुलिस किस प्रकार रमानाथ को उसका मुखबिर बनाने का षड़यंत्र करती है। रमानाथ को कुछ धन का लोभ देकर तथा गबन के आरोप से मुक्त करवा देने का प्रलोभन दे अपने कब्जे में कर लेती हैं पुलिस के ये हथकंडे मात्र उस युग की समस्या नहीं है वरन् वर्तमान में देश इस तरह की समस्या से बेहद परेशान है। आम इंसान की नजरों में पुलिस की छवि बिगड़ती जा रही है, इससे भी बड़ी चिंता का विषय है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो देश न्याय की गुहार कहाँ लगाए……..?

वेश्या जीवन की समस्या-

वेश्या समाज की ऐसी पात्र जिसे समाज बाजार कहकर उपेक्षित करता है। सोचता है प्यार मोहब्बत उसके लिए केवल खेलने की चीजे हैं, उसे कभी किसी से सच्ची सहानुभूति नहीं हो सकती वह केवल वासना तृप्ति का साधन मात्र है। समाज की इस सोच के कारण उनका जीवन निरंतर पतन की ओर बढ़ता जा रहा है।

सामाजिक समस्याओं के संदर्भ में समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण

गबन उपन्यास में गबन की घटना के साथ-साथ अन्य कई घटनाएं चलती हैं जिनमें एक घटना जिसकी पात्र है जोहरा। जोहरा एक वेश्या है। वह भी आम लोगों की ही तरह एक इसान हैं, उसे भी समाज में जीने के अधिकार हैं। वह भी एक शांतिप्रीय व सम्मान जनक जीवन जीने की अभिलाषा रखती है। उसे भी जीवन में किसी से सच्चा प्यार हो सकता है। गबन का आरोपी होकर रमानाथ जब कलकत्ता पहुँचता है तो उसकी मुलाकात जोहरा से होती है और जोहरा को जब इस बात का एहसास होता है कि रामनाथ का उसके प्रति प्रेम सच्चा है तो एक सहज नारी सुलभ भावना उसके भीतर जागती है जिससे वह रमानाथ की ओर आकर्षित हो जाती है। वहीं जालपा के चरित्र की महत्ता को देखकर उसके मन पर और भी गंभीर तथा पवित्र प्रभाव पड़ता है। तब वह तय करती है कि इस पाप के जीवन को त्यागकर पवित्र जीवन व्यतीत करेगी। इसी विचार से वह जालपा और रमानाथ के साथ इलाहाबाद लौट आती है और बाढ़ में डूबती हुई एक स्त्री को बचाने के प्रयास में अपने आपको बलिदान कर देती है।

संयुक्त परिवार की समस्या-

विश्व में भारतीय समाज जो अपनी पृथकता रखता है उनमें उसके संयुक्त परिवार का स्वरूप भी एक प्राथमिक विशेषता है। बरसों से हमारे परिवार कई पीढ़ियों तक संयुक्त रूप से रह रहे हैं आज भी यह विशेषता काफी परिवारों में देखने को मिलती हैं। जहां दो बर्तन होते है वहां टकराहट होती है यह प्राचीन कहावत है, किन्तु एक सिक्के के दो पहलू की तरह इसके कुछ लाभ हैं तो कुछ समस्याएं भी है। प्रेमचंद ने इन दोनों पहलुओं को गबन के माध्यम से उभारा है।

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स्त्री स्वाधीनता की समस्या-

प्राचीन भारतीय समाज में यह उक्ति कही जाती थी यत्र पूजयन्ते नारी, रमयन्ते तत्र देवताः’ यह सच भी है कि प्राचीन भारतीय समाज में स्त्रियों का विशेष आदर और सम्मान होता था। किन्तु मध्यकाल से उसकी सामाजिक स्थिति में परिवर्तन होने लगा। नारी घर की चार दीवारी में कैद होकर रह गई, धीरे-धीरे उसके सारे अधिकार छिन गये, उन्हें शिक्षा के अधिकार से भी वंचित कर दिया गया। आधुनिक काल के आरंभ तक यहीं स्थिति रही। जालपा, रतन आदि इसी दौर से गुजरती है। रमानाथ के बेरोजगार होने तक जालपा की भी यही स्थिति थी, वहीं वकील साहब की मृत्यु के बाद रतन की स्वाधीनता भी कैद होकर रह जाती है।

प्रस्तुत समस्या के माध्यम से प्रेमचंद यह दर्शाना चाहते हैं कि किसी भी समाज के विकास में नारी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। अतः परिवार और समाज के विकास में नारी स्वतंत्रता का विशेष महत्व होता है।

उपरोक्त विवेचना के आधार पर हम कह सकते हैं कि गबन एक समस्या प्रधान उपन्यास है जिसमें प्रेमचंद ने परिवार, समाज, राजनीति एवं देश के समस्त पहलुओं की समस्याओं से समाज को अवगत कराया है।

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