उपन्यास का भारतीय साहित्य में क्या महत्व है? इसका उल्लेख।

प्रत्येक मनुष्य के जीवन में उपन्यास का बहुत महत्व है। उपन्यास से सभी भली-भांति परिचित होते हैं। निरन्तर कर्म करने से जीवन में नीरसता एवं रूखापन आ जाता है। अतः जीवन को सरस बनाने के लिए मनोरंजन की आवश्यकता होती है। अनेक कथा-कहानियों से मनुष्य अपना मनोरंजन करता है। इस प्रकार जीवन को सरस बनाने में उपन्यास योगदान करता है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि उपन्यास मानव जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का एक आकर्षक दीपाधार है।

हिन्दी उपन्यास के स्वरूप एवं महत्व की विवेचना।

उपन्यास से मनोरंजन के साथ-साथ मस्तिष्क के लिए भी विचार प्राप्त होते हैं। आधुनिक उपन्यासों में मानव जीवन की लगभग समस्याओं को अभिव्यक्ति मिल रही है। जीवन की समग्र क्रियाशीलता उपन्यास की सीमा में सिमट गई है। जीवन की बाह्य एवं आन्तरिक आवश्यकताओं का समग्र रूप उपन्यासों में ही चित्रण हुआ मिलता है।

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उपन्यास साहित्य का सर्वश्रेष्ठ अंग है। मानव जीवन का जितना उत्कृष्ट चित्रण उपन्यास साहित्य में मिलता है, उतना साहित्य की अन्य विधाओं में नहीं। यह जीवन के अधिक सन्निकट है। संसार के महान कार्य उपन्यासकारों को प्रेरणा से ही हुए हैं। रूसों, गोर्की और वाल्टेयर की रचनाओं की प्रेरणा फ्रांस और रूस की क्रांतियों में स्पष्ट लक्षित होती है। आधुनिक समाज के निर्माण तथा उसमें सुधार करने में भी उपन्यास-साहित्य महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है। आज मानव जीवन पूर्व की अपेक्षा अधिक संघर्षमय बन चुका है। चारों ओर अशान्ति, अनियमितता, विक्षुब्धता एवं अस्त-व्यस्तता का साम्राज्य है। ऐसे संकटकाल में उपन्यास डूबते को तिनके सहारे बन रहा है।

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आधुनिक युग का सबसे सशक्त साहित्य उपन्यास ही है। अतः साहित्य का सर्वप्रिय अंग बन गया है। कला का सौन्दर्य उसमें दर्शनीय हैं। जिन विषयों के बारे में हम वास्तविक जीवन में ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते, उन विषयों का ज्ञान उपन्यास द्वारा हमें सरलतापूर्वक हो जाता है। उपन्यास के महत्व को स्पष्ट करते हुए एक आलोचक ने लिखा है

” श्रेष्ठ उपन्यास जीवन के अनुभव का नवनीत है। उपन्यास मानव के अनुभव की परिधि बढ़ाता है। वह अपूर्ण को पूर्णता देने का प्रयास करता है। यह जीवन के छूछेपन (शून्य) को भरता है। वह अतीत के गड्ढों को भी पटता है।”

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