अवकाश के लिए शिक्षा पर टिप्पणी लिखिए।

अवकाश के लिए शिक्षा पर टिप्पणी खाली दिमाग शैतान का घर अर्थात् व्यक्ति खाली समय में इधर-उधर की शैतानी हरकतें किया करता है। एस के अनुसार, “यह असम्भव है कि व्यक्ति बिना काम के एक क्षण भी रह सके। बिना कार्य के अवकाश व्यक्ति को नष्ट कर देता है। आलस्यवश गये। लगाना एक पुन है जिससे आने वाली पीढ़ी भी पथभ्रष्ट हो सकती है। अव्यवस्थित अवकाश राष्ट्र की चेतना शक्ति समाप्त कर देता है। अवकाश में कोई न कोई अवश्य किया जाना चाहिये। अवकाश के लिए शिक्षा देना कोई सरल कार्य नहीं है। ऐसी शिक्षा की व्यवस्था बहुत ही सावधानीपूर्वक करनी चाहिए।” अब प्रश्न यह उठता है कि यह शिक्षा उदार हो या व्यावसायिका लोगों का विश्वास है कि व्यावसायिक शिक्षा व्यक्ति के अन्तःकरण को ऊपर नहीं उठानी पर आज अनेक शोधों के आधार पर यह तर्क समाप्त हो गया है तथा शिक्षा में यह भेद भी सरलता से नहीं किया जा सकता, व्यावसायिक शिक्षा भी उदार हो सकती है तथा उदार शिक्षा व्यावसायिक भी।

निर्देशीय एवं अनिर्देशीय परामर्श से किस प्रकार से भिन्न है ?

शिक्षा की प्रकृति आदि के सम्बन्ध में निर्णय लेने से पूर्व यह आवश्यक है कि पहले यह ज्ञात किया जाये कि व्यक्तिगत मित्रता के आधार पर व्यक्ति में मनोरंजन सम्बन्धी क्या रुचियाँ हैं फिर उन्हीं के आधार पर उनकी शिक्षा व्यवस्था की जाये। विभिन्न आयु स्तर में इसकी उपयोगिता मित्र-2 होती है। व्यक्ति जीवन के प्रत्येक स्तर पर आनंद प्राप्त कर सके। उसकी वैयक्तिक और मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएँ पूरी हों। डॉ. मुकर्जी के अनुसार, “बच्चों की शिक्षा इसलिए आवश्यक है कि वे आने वाले समय में जनतंत्र की रक्षा कर सके। अवकाश के लिए दी जाने वाली शिक्षा की प्रकृति ऐसी हो कि स्कूली जीवन के बाद भी वयस्क जीवन में रुचियों और क्रियाओं से वह तालमेल बैठा सके। विद्यालय समाज का सही रूपों में प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था बन सके।” छात्रों को अवकाश के लिए शिक्षा देने के लिए एक अच्छे शिक्षक की आवश्यकता होती है।

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