अन्य पिछड़े वर्ग से क्या अभिप्राय हैं?

अन्य पिछड़े वर्ग से अभिप्राय

अन्य पिछड़े वर्ग से अभिप्राय – पिछड़े वर्गों के बारे में हमारा अभिप्राय वास्तव में हरिजनों और उच्च जातियों के बीच मध्यम जातियों से है। हमारा अभिप्राय ‘पिछड़े वर्ग’ शब्द के वृहद् परिप्रेक्ष्य में नहीं है। “पिछड़े “वर्ग” पिछड़े हैं क्योंकि वे शिक्षा, सरकारी सेवाओं, व्यवसायों और व्यापार आदि में पीछे रहे हैं। किन्तु गत वर्षों में उन्होंने आर्थिक और राजनैतिक क्षेत्रों में प्रगति की है। पिछड़े वर्ग लघु जमींदार हैं जो जीविका के लिए मुख्यतः कृषि पर ही आश्रित हैं। वे संख्या में बहुत अधिक हैं परंतु सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक दृष्टि से एक अखण्डित समूह नहीं हैं। मण्डल आयोग के अनुसार पिछड़े वर्ग भारत की कुल जनसंख्या का 52 प्रतिशत है।

भारत के संविधान के अनुसार पिछड़े वर्ग का आधार नागरिकों के सामाजिक और शैक्षणिक दृष्टि से पिछड़े वर्ग से हैं। धारा 340 के अंतर्गत भारत के राष्ट्रपति को अधिकार है कि एक आयोग की नियुक्ति कर देश के विभिन्न भागों में पिछड़े वर्गों की दशा की जानकारी करवा कर रिपोर्ट लें। धारा 15 (4) और 16 के अंतर्गत राज्य सरकारें भी आयोगों की नियुक्ति करके विभिन्न पिछड़ी जातियों की आर्थिक और शैक्षणिक समस्याओं की जानकारी ले सकती है। ऐसे आयोगों की रिपोर्टों के आधार पर शैक्षिक संस्थाओं और सरकारी सेवाओं में आरक्षण कर सकती है।”

औपचारिक शिक्षा से आप क्या समझते हैं? संक्षेप में लिखिए।

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