हर्षवर्धन की महानता के कारण बताइये।

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हर्षवर्धन की महानता के प्रमुख कारण निम्न हैं

(1) राजनैतिक उपलब्धियाँ: हर्ष के उत्तर भारत की राजनैतिक अस्थिरता का अन्त किया। उसने न केवल उत्तर भारत में अपनी धाक जमाई बल्कि वह दक्षिण की ओर प्रसार के उन्मुख हुआ लेकिन नर्मदा तट पर वह पुलकेशिन द्वितीय से बुरी तरह पराजित हुआ जो उसके शासन काल की पहली एवं अन्तिम पराजय थी। फिर हर्ष के ही काल में पाटलिपुत्र की जगह कन्नौज का राजनीतिक महत्व स्थापित हुआ और वह बाद के कालों तक बना रहा।

(2) दानशील शासकः हर्ष एक महान दानशील शासक था। हेनसांग उसकी दानशीलता की भी प्रशंसा करता है उसके विवरण से ज्ञात होता है क वह प्रत्येक पाँच-पाँच वर्ष में प्रयास में एक धर्मसंसद का आयोजन करता था जिसमें वह अपने पास उपलब्ध सभी धन को दान कर देता था।

(3) लोक कल्याण के कार्य हुएनसांग हर्षवर्धन के लोक कल्याणकारी कार्यों का भी उल्लेख किया है। उसने यात्रियों की सुरक्षा के लिए पुलिस तथा गुप्तचर की व्यवस्था की। साथ ही साथ सड़कों के किनारे विश्रामालयों की भी स्थापना करवायी। उसके काल में अनेक बिहार, चैत्य एवं मन्दिरों का निर्माण किया गया।

(4) शिक्षा साहित्य का विकासः हर्ष ने शिक्षा साहित्य के विकास में भी योगदान दिया। उसने नालन्दा विश्वविद्यालय के संचालन के लिए लगभग 100 गाँव अनुदान में दिये थे। उसके दरबार में क्लासिकल संस्कृति का विकास हुआ वह स्वयं एक विद्वान भी था। उसने रत्नावली, प्रियदर्शिका तथा नामनन्द जैसे ग्रन्थों की रचना की थी। उसने बाणभट्ट, मयूर तथा मातंग दिवाकर जैसे विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया। जिन्होंने क्रमशः हर्षचरित तथा सूर्यशतक की रचना की।

हर्षवर्धन राज्यकाल का इतिहास के साहित्यिक साक्ष्यों का उल्लेख कीजिए।

(5) बौद्धधर्म का प्रचार-प्रसारः हर्षवर्धन ने हुएनसांग के प्रभाव के प्रभाव में आकर बौद्ध धर्म को अपना लिया और उस धर्म की महायान शाखा को संरक्षण प्रदान किया। साथ ही साथ उसने कन्नौज में हुएनसांग की अध्यक्षता में बौद्ध धर्म सम्मेलन का आयोजन किया तथा बौद्ध धर्म के प्रसार के प्रयास भी किये। लेकिन उसने अपने व्यक्तिगत धर्म का प्रभाव राजकीय धर्म पर नहीं पड़ने दिया अर्थात् उसने सभी धर्मो एवं पंथों को समान संरक्षण दिया इस प्रकार उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट हो जाता है कि हर्ष एक महान शासक था।

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