स्वतन्त्र भारत में जनजातीय कल्याण योजना का वर्णन कीजिए।

स्वतन्त्र भारत में जनजाति कल्याण के लिए निम्नलिखित योजनाएं लागू की गई

  1. कम साक्षरता वाले क्षेत्रों में जनजातीय छात्राओं की शिक्षा- 1993-94 में यह योजना उन जनजातीय क्षेत्रों में शुरू की गयी, जहां स्त्रियों की साक्षरता का प्रतिशत दो से भी कम रहा है। वाली
  2. पहाड़ी/पर्वतीय क्षेत्रों का विकास- पहाड़ी/पर्वतीय क्षेत्रों में निवास करने जनजातियों के लिए केन्द्र सरकार द्वारा अलग से विकास योजना तैयार की गयी है।
  3. जनजाति सहकारी बाजार विकास संघ (ट्राइफेड)- सरकार द्वारा देश की जनजातियों को व्यापारियों के आर्थिक शोषण से सुरक्षित रखने और उनके द्वारा उत्पादित कृषि उत्पादों तथा जंगलों से एकत्रित किए गए उत्पादों का सही मूल्य दिलाने के दृष्टिकोण से ‘ट्राइफेड’ नामक संस्था बनायी गयी है।
  4. राज्य क्षेत्र की योजनाएं- केन्द्रीय योजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकारें भी जनजातियों के उत्थान एवं कल्याण हेतु अनेक कार्यक्रम संचालित करती है।
  5. जनजातीय अनुसंधान – संस्थाएँ वर्तमान समय तक देश में जनजातियों से सम्बन्धित अनुसंधान करने हेतु 4 अनुसंधान केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैं।
  6. जनजातीय क्षेत्रों में व्यावसायिक प्रशिक्षण – जनजातीय क्षेत्रों में निवास करने वाले युवाओं को विघटनकारी गतिविधयों से बचाने के लिए केन्द्र सरकार द्वारा व्यावसायिक प्रशिक्षण केन्द्रों को स्थापित किया गया है।
  7. जनजातीय उप-योजना क्षेत्र में आश्रम स्कूल – इस योजना को केन्द्रीय सरकार के द्वारा 1990-91 में प्रारम्भ किया गया।
  8. छात्रवृत्तियाँ– अनुसूचित जनजातियाँ / जातियों के छात्रों को उनके माता-पिता या संरक्षकों की आय के आधार पर सरकार के द्वारा मैट्रिक के बाद छात्रवृत्तियाँ दी जाती है।

जाति व्यवस्था के दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए।

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