स्त्री शिक्षा की प्रमुख समस्याओं का उल्लेख कीजिए।

स्त्री-शिक्षा की समस्याएँ

स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात स्त्रियों की स्थिति में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ है। फिर भी पुरुषों का एक वर्ग सदियों से स्त्री जाति पर शासन करने तथा उन्हें धार्मिक संकीर्णताओं व रूड़ियों में जकड़े रहने की अवधारणा को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। परिणामस्वरूप जीवन के किसी भी क्षेत्र में महिलाएँ पुरुषों के बराबर नहीं खड़ी हो पायी हैं। शिक्षा के क्षेत्र में ये बहुत पीछे हैं। जनतांत्रिक शासन व्यवस्था तथा प्रगतिशील समाज स्त्री के साथ है तथा वह स्त्रियों को शिक्षित करके पुरुषों के समान स्थिति प्रदान करने के लिए कृत संकल्प है। देश में महिला साक्षरता का प्रतिशत 54.16 है. जबकि पुरुष साक्षरता 75-85 प्रतिशत है। महिलाओं की दशा शिक्षा तथा व्यवसाय के प्रत्येक क्षेत्र में शोचनीय है। श्री-शिक्षा के मार्ग में आने वाली कुछ ज्वलंत समस्याएँ इस प्रकार हैं

  1. शैक्षिक अवसरों की समानता की समस्या।
  2. समाज तथा अभिभावकों में लड़कियों की शिक्षा के प्रति उचित दृष्टिकोण का अभाव है।
  3. अपव्यय एवं अवरोधन की समस्या स्त्री-शिक्षा की प्रगति में बाधक है।
  4. स्त्री-शिक्षा के लिए दोषपूर्ण पाठ्यक्रम एक समस्या है।
  5. दोषपूर्ण प्रशासन महिला शिक्षा के मार्ग में एक बाधा है।
  6. प्रशिक्षित एवं योग्य महिला अध्यापिकाओं का अभाव है।
  7. आर्थिक कारणों से महिला शिक्षा में प्रगति नहीं हो पा रही है।
  8. स्त्रियों के लिए व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा का अभाव है।

माध्यमिक शिक्षा आयोग के पाठ्यक्रम सम्बन्धी क्या सुझाव थे?

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