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सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन कीजिये।

सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता का वर्णन

सामाजिक क्षेत्र में लैंगिक विषमता भारत में सामाजिक क्षेत्र में पुरुष और महिलाओं के बीच निम्नलिखित क्षेत्रों में विभेदीकरण देखा जा सकता है

(1) शिक्षा

भारत में आज भी शिक्षा के क्षेत्र में पुरुष व महिलाओं के बीच विभेदीकरण का बर्ताव किया जाता है। पुरुष की शिक्षा-दीक्षा को अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है तथा उन्हें शिक्षा ग्रहण करने हेतु विशेष सुविधाएँ प्रदान की जाती है। अधिकांश लोग शिक्षा को चूंकि नौकरी प्राप्त करने का साधन मात्र समझते हैं, अतः वे लड़की के शिक्षा प्राप्त करने को सामाजिक दृष्टि से हेय समझते हैं।

(2) परिवार

परिवार में माता की प्रस्थिति की तुलना में पिता की प्रस्थिति को अधिक महत्त्व दिया जाता है। पुत्री की तुलना में पुत्र को, पत्नी की तुलना में पति को अधिक सम्मान व महत्त्व की दृष्टि से देखा जाता है। घर पर सभी महत्त्वपूर्ण निर्णय पुरुषों के द्वारा लिए जाते हैं।

(3) जाति प्रथा

जाति प्रथा में यज्ञ, हवन, अनुष्ठान एवं जनेऊ धारण करने के अधिकार पुरुषों को रहे हैं, स्त्रियों को नहीं युद्ध में भाग लेने, देश एवं विदेश में व्यापार करने का अधिकार पुरुषों को ही था। स्त्रियों का कार्यक्षेत्र तो सदैव पर ही रहा है नातेदारी के क्षेत्र में भी पुरुषों के कार्य स्त्रियों की तुलना में अधिक पाए जाते हैं।

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(4) विवाह

विवाह के क्षेत्र में महिलाओं की तुलना में पुरुषों से अधिक अधिकार प्राप्त हैं। पति के चयन में कन्या की इच्छा को विशेष महत्त्व नहीं दिया जाता है। विवाह विच्छेद के अधिकार भी महिलाओं की तुलना में पुरुषों का अधिक है। कई समाजों में बहुपत्नी विवाह का प्रचलन है।

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