सम्प्रेषण क्या है?

सम्प्रेषण शब्द प्रेषण और प्रेषित करना’ जैसी क्रियाओं को अपने में संजोये हुए है जिनका अर्थ होता है- किसी वस्तु या विचार को एक जगह से दूसरी जगह भेजना। पत्र, टेलीफोन, तार द्वारा संदेश प्रेषित करना-ऐसे वाक्यों को भी प्रयोग में लाते रहते हैं। इस संदर्भ में प्रेषण तथा प्रेषित करना विचार या सूचना इत्यादि का एक पक्षीय हस्तान्तरण ही होता है क्योंकि इसमें विचार, या संदेश किसी स्रोत (Source) से सूचना प्राप्त करने वाले व्यक्ति तक पहुँचाने भर की ही बात होती है। सम्प्रेषण इसकी तुलना में कुछ अधिक व्यापक संप्रत्यय है। यहाँ विचार, या संदेश भेजने का कार्य एकपक्षीय न होकर द्वि या बहुपक्षीय बन जाता है। सम्प्रेषण में प्रेषण क्रिया स्रोत तथा प्राप्तकर्ता के बीच समान रूप से वितरित होती है तथा दोनों ही इसकी सफलता हेतु समान रूप से उत्तरदायी होते हैं। यहाँ विचारों तथा भावों का एकतरफा हस्तान्तरण न होकर पारस्परिक रूप से आदन प्रदान होता है। इस तरह सम्प्रेषण की प्रक्रिया एक सहयोगात्मक प्रक्रिया है जिसमें दो या दो से अधिक व्यक्तियों को अपने विचारों तथा भावों के आदान-प्रदान करने का पूरा-पूरा अवसर मिलता है।

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अपने विचारों तथा भावों के आदान-प्रदान के लिए हम शाब्दिक तथा अशाब्दिक दोनों प्रकार के संकेतों का प्रयोग करते हैं। शाब्दिक संकेतों के विकसित रूप में हम सभी किसी-न किसी ऐसी भाषा का प्रयोग करते हैं जो प्राप्तकर्त्ता ठीक-ठीक पढ़ ले तथा समझ ले ।

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