समुदाय के चार आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं?

समुदाय के चार आवश्यक तत्व निम्नलिखित है

(i) क्षेत्रीय स्थायित्व- समुदाय का अपना निश्चित भू-क्षेत्र होता है जब व्यक्ति किसी एक निश्चित क्षेत्र में लम्बे समय तक निवास करता है तब हम उसे समुदाय की संज्ञा देते हैं। इसके अतिरिक्त केवल खानाबदोश लोगों को छोड़कर किसी भी समुदाय का क्षेत्र बदलता नहीं रहता। किन्तु आधुनिक युग में क्षेत्रीय विस्तार के कारण स्थायित्व में कमी आती जा रही है।

(ii) सामुदायिक नियंत्रण- समुदाय अपने सदस्यों को नियंत्रित करने के लिये विभिन्न विधियों का प्रयोग करता है। इनमें से रूढ़ियों, परम्पराओं, धार्मिक क्रियाओं के साथ एक काल्पनिक पूर्वज से सम्बन्धित होने की भावना तथा गोत्र का आधार मुख्य है। यद्यपि यह सब अनौपचारिक नियंत्रण के साधन हैं किन्तु फिर भी वह व्यक्ति को निश्चित रूप से नियंत्रित करने एवं सामुदायिक मनोवृत्ति को जन्म देने में सर्वोपरि है और सभ्य जीवन का आधार कहे जा सकते हैं।

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(iii) व्यक्तियों का समूह समुदाय का निर्माण इतने व्यक्तियों द्वारा होता है जो एक-दूसरे की सहायता से अपनी सभी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। इस प्रकार समुदाय तुलनात्मक रूप से एक बड़ा सामाजिक समूह है।

(iv) स्वार्थ की भावना सामान्यतः प्रत्येक व्यक्ति में अपने निजी स्वार्थ विद्यमान होते हैं। परन्तु समुदाय में व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वार्थी को गौण मानकर सामूहिक एवं सामुदायिक स्वार्थी को प्राथमिकता देता है। चूंकि उसका अस्तित्व ही समुदाय के अस्तित्व के साथ है। भाषा, धर्म, संस्कृति, जीवन स्तर रीति-रिवाज, परम्पराओं एवं संस्थाओं में समानता के कारण वे सामान्य जीवन व्यतीत करते हैं।

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