समिति की परिभाषा- व्यक्तियों के ऐसे संगठन को जो किसी उद्देश्य के लिए संगठित होते हैं, समिति कहा जाता है। वोगार्डस महोदय ने समाजशास्त्र की व्याख्या समूह के माध्यम से की है। उनके लिये तो एक प्रकार से समाजशास्त्र और समूह पर्यायवाची है। दूसरे शब्दों में, समाजशास्त्र समूहों का अध्ययन है। जब वे समूह की चर्चा करते हैं तो इसके अन्तर्गत समिति की चर्चा भी विस्तृत रूप में प्रस्तुत करते हैं। उनके अनुसार समिति प्रायः किसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिये मिलकर कार्य करना है।
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गिन्सबर्ग पुरानी पीढ़ी के समाजशास्त्री हैं। उनका तर्क है कि समितियों के माध्यम से ही समाज में एकमतता बनी रहती है। समिति की व्याख्या करते हुए वे लिखते हैं-सामाजिक प्राणियों का एक समूह जो एक-दूसरे से इस तथ्य से सम्बन्धित है कि वे विशेष लक्ष्यों की पूर्ति के लिए एक संगठन बनाते हैं, समिति कहलाता है।
नयी पीढ़ी के समाजशास्त्रियों ने समिति की व्याख्या को अपना केन्द्र नहीं बनाया है। उनके अनुसार तो आज के आधुनिक औद्योगिक शहरी समाज के लिये समिति तो सामाजिक संरचना का एक अन्तर्निहित अंग है।
विशेषताएँ समिति की विशेषताएँ निम्नलिखित है
(1) सहयोग की भावना होती है-समितियों के सदस्यों की प्रबल भावना यह होती है कि वे एकजुट होकर अपने हितों की पूर्ति करें। इसी कारण पारस्परिक सहयोग की भावना इन समितियों में प्रबल रूप से पायी जाती है। जब सदस्यों में सहयोग की भावना कम होने लगती है, तो समझिये कि समिति के भवन में दरारें पड़ने लगी हैं।
(2) समितियों के नियम होते हैं- कोई भी समिति हो, सांस्कृतिक या आर्थिक, उसके निश्चित नियम और उप-नियम होते हैं। ये नियम उप-नियम लिखित व अलिखित दोनों तरह के हो सकते हैं। कई बार समितियाँ परम्पराओं और रीति-रिवाज के माध्यम से चलायी जाती है। समिति के पदाधिकारी नियमों के अन्तर्गत ही निश्चित किये जाते हैं। वास्तव में इनका चयन या चुनाव एक निश्चित अवधि के उपरान्त होता रहता है। सदस्यता के लिये प्रार्थना-पत्र और निर्धारित शुल्क भी होता है।
आर्थिक और राजनीतिक हितों की पूर्ति के अतिरिक्त स्वास्थ्य, शिक्षा तथा समाज कल्याण के क्षेत्र में कार्य करने वाली समाज की भावना से युक्त समितियाँ भी समकालीन समाज में काफी हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन एक वृहत् समिति है, जिसके आगोश में सम्पूर्ण विश्व पाया जाता है। स्वैच्छिक संगठन यानी एन०जी०ओ० भी एक प्रकार की समिति है। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) भी समिति का एक दृष्टान्त है।
(3) समिति एक जैसे व्यक्तियों का संगठन है- समिति की दूसरी विशेषता उसके सदस्यों की है। उसके सदस्य या तो एक स्वार्थ वाले होते हैं, या उनके हित मिलते-जुलते होते हैं। ये स्वार्थ और हित ही हैं जो सदस्यों को एक कड़ी के रूप में बांधते हैं। क्लब में कुछ लोग टेनिस खेलते हैं, कुछ बिलियर्ड और कुछ ताश। ये सब एक जैसे हित हैं।
(4) उद्देश्य प्राप्ति का साधन है- मनुष्य अपने विशिष्ट हित या हितों की सिद्धि के लिये जब एक संगठन को बनाते हैं, तो यह समिति कहलाता है। किसी भी समिति का उद्देश्य कुछ परिभाषित हितों की पूर्ति के लिये होता है।
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