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समाजशास्त्र के मानविकी परिप्रेक्ष्य की विशेषता क्या है?

समाजशास्त्र के मानविकी परिप्रेक्ष्य की विशेषता

समाजशास्त्र के मानविकी परिप्रेक्ष्य की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित है

लोक-जीवन पद्धति पर टिप्पणी लिखिए।

  1. मानविकी परिप्रेक्ष्य वैज्ञानिकवाद प्रत्यक्षवाद आनुभविकता, गणनात्मक तथ्यों, आदि पर आवश्यकता से अधिक बल दिये जाने के विरोध स्वरूप विकसित हुआ अर्थात् यह वैज्ञानिक पद्धति की कठोरता के विपरीत अथवा विरुद्ध है।
  2. इसके अन्तर्गत सामाजिक यथार्थ को ठीक से समझने के लिए वस्तुनिष्ठ अध्ययन के स्थान पर विषयनिष्ठ अध्ययन पर अधिक जोर दिया जाता है।
  3. इस परिप्रेक्ष्य के अन्तर्गत यह स्वीकार किया जाता है कि सामाजिक यथार्थ स्थिर नहीं ओं में है, अतः उसे निर्मित एवं पुनः निर्मित भी किया जा सकता है। इस कार्य को वैज्ञानिक के बजाय निसर मानविकी परिप्रेक्ष्य अपनाकर ही किया जा सकता है।
  4. मानविकी परिप्रेक्ष्य में उपेक्षित और शोषित वर्ग, महिलाओं, बालापराधियों, आदि के अध्ययन पर बल देकर समाजशास्त्रीय ज्ञान के उचित उपयोग की महत्ता को स्पष्ट किया गया है। है।”
  5. इस परिप्रेक्ष्य के अनुसार अध्ययनकर्ता स्वयं को सभी प्रकार के पूर्वाग्रहों अथवा पूर्व स्थापित मान्यताओं से पूर्णतः मुक्त रखता है ताकि नव-निर्मित सामाजिक यथार्थ की तटस्थता/ निष्पक्षता का अध्ययन और परीक्षण किया जा सकता हैं।
  6. इस परिप्रेक्ष्य में अध्ययन करने के लिए एक ऐसी पद्धति का आश्रय लिया जाता है, जो कि वास्तविकता के अधिकाधिक समीप हो, यथा-सहभागी अवलोकन/ निरीक्षण, पत्र आत्मकथा.जीवनियाँ आदि।

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