सन्दर्भ समूह का अर्थ तथा विशेषताये बताइये?

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सन्दर्भ समूह का अर्थ

विद्वानों ने सन्दर्भ समूह का अर्थ इस प्रकार बताया है- “सन्दर्भ समूह वह समूह है। जिसका व्यक्ति तुलना के लिए एक प्रामाणिक समूह के रूप में प्रयोग करता है, अर्थात यह एक ऐसा समूह है जिससे व्यक्ति अपने मूल्य प्राप्त करता है।” सन्दर्भ समूह की अवधारणा को सबसे पहले हाईमैन ने सन् 1942 में अपने लेख ‘The Phychology of status’ के माध्यम से प्रस्तुत किया। इसके पश्चात अन्य विद्वानों जैसे मर्टन, न्यूकॉम्ब, किट्ट आदि ने भी इस अव गरणा का प्रयोग किया।

सन्दर्भ समूह की प्रमुख विशेषताये निम्न है

(1) व्यक्ति के सन्दर्भ समूह बदलते रहते हैं क्योंकि व्यक्ति की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं में परिवर्तन होता रहता है। समय, परिस्थिति एवं स्थान के परिवर्तित हो जाने पर सन्दर्भ-समूह भी बदल जाते हैं। इसलिए यह आवश्यक नहीं है कि व्यक्ति का सन्दर्भ समूह एक ही रहेगा।

(2) आधुनिक समय में व्यक्ति प्रकार की समस्याओं एवं परिस्थितियों का सामना कर रहा है। हर व्यक्ति की यह इच्छा होती है कि वह स्वयं को किसी ऐसे समूह से जोड़कर रखे जो समाज में प्रतिष्ठित हो तथा जिसके द्वारा उसकी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की पूर्ति सम्भव हो। यह कहना भी उचित होगा कि सन्दर्भ-समूह व्यक्ति की उच्च आकांक्षाओं के गर्भ से जन्म लेते हैं।

प्राथमिक समूह की अवधारणा पर टिप्पणी लिखिए।

(3) व्यक्ति का यह सहज गुण होता है कि वह अपनी सामाजिक स्थिति को उच्च बनाने के लिए अपने समूह के वातावरण एवं प्रतिमानों को छोड़ देता है और किसी ऐसे समूह का सदस्य बनने का प्रयास करता है। जो उसके ऐसे लक्ष्य को पूर्ति कर सके जिनकी पूर्ति उसके स्वयं के समूह में सम्भव नहीं है। ऐसी परिस्थितियों में वह अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए अपने से बड़े या उच्च समूह की ओर देखता है।

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