समिति व्यक्तियों का संगठन होने के कारण मूर्त होती है जबकि संस्था नियमों की व्यवस्था होने के कारण अमूर्त होती हैं।
उद्देश्यों की पूर्ति के बाद समितियाँ भंग हो जाती हैं, जबकि संस्था थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ समाज में विद्यमान रहती हैं।
समिति पूर्णतया व्यक्तिगत स्वार्थी अथवा एक समूह विशेष के स्वार्थों से सम्बन्धित होती हैं, जबकि संस्थाएँ समाज की सम्पूर्ण संस्कृति की प्रतिनिधि होती है और इसलिए इनकी प्रकृति सामूहिक होती है।
समिति की स्थापना योजनाबद्ध रूप से की जाती है, जबकि संस्था का विकास धीरे-धीरे एक लम्बी अवधि में होता है।
समिति एक औपचारिक संगठन है क्योंकि इसके निश्चित और लिखित नियम होते हैं, जब कि संस्थाए अनौपचारिक होती है, क्योंकि वे परम्परा, जनरीति, प्रथा या लोकाचार के रूप में होती है।