शिक्षा स्वाभाविक विकास में सुधार करती है।” आलोचनात्मक वर्णन कीजिए।

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शिक्षा स्वाभाविक विकास में सुधार

शिक्षा स्वाभाविक विकास में सुधार शिक्षाशास्त्री एडम्स तथा रस्किन यह स्वीकार करते हैं कि शिक्षा बालक के स्वाभाविक विकास में सुधार करने के लिए आवश्यक है। उनका मत है कि अध्यापक के व्यक्तित्व एवं ज्ञान का प्रभाव बालक के ऊपर अवश्य पड़ता है और बालक कभी भी अध्यापक के प्रभावों से मुक्त नहीं रह सकता। इस प्रकार शिक्षा एक द्विमुखी प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक प्रभावित करता है और विद्यार्थी प्रभावित होता है। शिक्षा की इस परिभाषा की आलोचना में यह कहा जाता है कि बालक के विकास की प्रक्रिया में आरम्भ से अन्त तक एक सी स्थिति नहीं रहती। दूसरी बात यह भी है कि इस परिभाषा से यह भी स्पष्ट नहीं है कि विकास किस दिशा में किया जाये। इसके अतिरिक्त बालक पर प्रभाव डालने वाले अध्यापक के आदर्श एवं मूल्य भी स्थिर नही है।

जनजातीय समस्याओं के सुधार हेतु सुझाव दीजिए।

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