B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed. TEACHING

‘शिक्षा में नूतन आयाम सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों के लिए आवश्यक है।” विवेचना कीजिए।

शिक्षा में नूतन आयाम सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तन

शिक्षा में नूतन आयाम तथा समाज का काफी गहरा सम्बन्ध है। ज्ञान की अभिवृद्धि तथा तकनीकी प्रगति एवं भौतिकता के संचार के कारण समाज बहुत तेजी से बदल रहा है। समाज में सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन भी तेजी सो हो रहे हैं। इन परिवर्तनों के अनुसार शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन आवश्यक होते हैं। अतः शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन के अनुरूप लाने एवं नवीन तिथियों एवं नूतन आयामों की आवश्यकता है। सम्पूर्ण विश्व की ही तरह भारत में परिवर्तनों का चक्र गतिमान है। सन् 1947 में भारत स्वतन्त्र हुआ। स्वतन्त्रता के परिणामस्वरूप राजनैतिक ढाँचे में मौलिक परिवर्तन हुआ। 1950 में भारतीय जनता में कुछ अधिकार तथा अश्वासन प्रदान किये गये। इन अधिकारों तथा आश्वासनों की प्रतिपूर्ति एवं क्रियान्वयन के लिए लार्ड मैकाले द्वारा तैयार शिक्षा प्रतिरूप में आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता अनुभव होती है।

शिक्षा के मुख्य उद्देश्य कौन-कौन से हैं?

स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् आर्थिक क्षेत्र में भी सामन्ती एवं ब्रिटिशकालीन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के प्रयत्न किये गये। तीव्र आर्थिक विकास एवं आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पंचवर्षीय योजनायें लागू की गयी । इन पंचवर्षीय योजनाओं के अन्तर्गत हमारी कृषि तथा औद्योगिक प्रणाली में तीव्र परिवर्तन हुए। इस नये आर्थिक परिवेश में देश के सामने नयी आर्थिक समस्यायें भी उत्पन्न हुई हैं। तीव्र जनसंख्या वृद्धि नगरीकरण, पर्यावरण प्रदूषण, औद्योगीकरण जैसी समस्यायें उत्पन्न हुई हैं। इनके समाधान हेतु शिक्षा प्रणाली समर्थ नहीं हो पा रही हैं। इसके लिए भी शिक्षा प्रणाली में नवाचार एवं नूतन आयामों को स्वीकार करने की आवश्यकता अनुभव। की गयी। भारतीय समाज तथा उसकी संरचना में परिवर्तन हुए हैं। जातियों का बन्धन शिथिल। हुआ है, लिंग आधारित भेदभाव के विरुद्ध चेतना जाग्रत हुई है। साथ ही साम्प्रदायिक सदभाव बढ़ाने की आवश्यकता अनुभव की जा रही है। सामाजिक शोषण के विरुद्ध नवीन चेतना का प्रकटीकरण हो रहा है। पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है। भारतीय संस्कृति से बढ़ती विमुखता के कारण समाज में मूल्यों का क्षरण हुआ है। भौतिकता की वृद्धि एवं आध्यात्मिक चिन्तन का लोप हो रहा है इस प्रकार स्पष्ट है कि शिक्षा में नूतन आयाम सामाजिक आर्थिक क्षेत्र में तेजी से हो रहे परिवर्तनों के लिए आवश्यक है।

About the author

pppatel407@gmail.com

Leave a Comment