शिक्षा के सामान्य कार्य बताइए।

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शिक्षा के सामान्य कार्य

शिक्षा के कुछ सामान्य कार्य निम्नलिखित है

1. अन्तर्निहित अथवा जन्मजात शक्तियों का विकास – प्रत्येक बालक में कुछ आन्तरिक या अन्तनिर्हित शक्तियाँ होती हैं। शिक्षा इन अन्तर्निहित शक्तियों का विकास करती है।

2.मूल प्रवृत्तियों का नियंत्रण – मूल प्रवृत्तियाँ मनुष्य के जीवन में सदैव निहित रहती हैं। प्रत्येक मूल प्रवृत्ति का कोई न कोई लक्ष्य अवश्य होता है, उसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मनुष्य कार्य करता है। अतः मनुष्य के कार्य एवं व्यवहार को समाज स्वीकार बनाने के लिए इन नियंत्रित करना आवश्यक है। इस नियंत्रण के कार्य को शिक्षा के द्वारा क्रियान्वित किया जाता है।

3. व्यक्तित्व का विकास – शिक्षा का मुख्य कार्य बालक के व्यक्तित्व का विकास करन है। शिक्षा द्वारा व्यक्तित्व के निर्माण के लिए बालक के शारीरिक, मानसिक, नैतिक, आध्यात्मिक संवेगात्मक आदि पक्षों का विकास किया जाना चाहिए।

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4.चरित्र निर्माण – शिक्षा का प्रमुख कार्य बालक के चरित्र का निर्माण करना है। शिक्षा हमें सत्यं शिवं और सुन्दरम् की अनुभूति कराती है। उसकी अनुभूति से बालक में श्रेष्ठता आती है वह राष्ट्र का निर्माण करने में भी योगदान देता है।

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