शिक्षा का अर्थ तथा व्यापक शिक्षा व संकुचित शिक्षा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

शिक्षा का अर्थ

शिक्षा शब्द की व्युत्पत्ति संस्कृत की “शिक्ष’ धातु से हुई है जिसका अर्थ है सीखना और सिखाना। इस अर्थ में यदि हम देखें तो शिक्षा में वह सब कुछ निहित है जो हम समाज में रहकर सीखते है। अतः वास्तविक अर्थ में कहा जा सकता है कि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति अथवा बालक‍ का बौद्धिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आध्यात्मिक विकास करती है। शिक्षा व्यक्ति के व्यवहारों में परिवर्तन लाती है। वह जो कुछ जन्म से था वह नहीं रहकर कुछ और हो जाता है। अर्थात् उसमें सुधार करके ऐसा बना दिया जाता है कि उसमें समाज, देश और मानवता का कल्याण हो सके।

व्यापक शिक्षा

व्यापक अर्थों में शिक्षा एक जीवन पर्यन्त चलने वाली विकासोन्मुख परिवर्तन करने वाली गतिशील प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत जीवन के सफर में प्राप्त होने वाले समस्त अनुभव एवं प्रभाव सम्मिलित होते हैं। मैकेन्जी का यह कथन उल्लेखनीय है “व्यापक अर्थ में शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जो आजीवन चलती रहती है और जीवन के प्रायः प्रत्येक अनुभव से उसके भण्डार में वृद्धि होती है।”

इस प्रकार को शिक्षा घर, विद्यालय अथवा अन्य किसी भी स्थान पर हो सकती है। इस शिक्षा का कोई निश्चित समय नहीं होता है और यह निरन्तर चलने वाली क्रिया होती है।

समावर्तन संस्कार’ का वर्णन कीजिए।

संकुचित शिक्षा

शिक्षा का संकुचित अर्थ वह है जिसमें व्यक्ति को जीवन के एक निश्चित काल, निश्चित स्थान निश्चित ढंग, निश्चित व्यक्तियों, कुछ निश्चित विषयों एवं क्रियाओं के माध्यम से निश्चित शिक्षा प्राप्त करनी होती है। ऐसी शिक्षा को योजनाबद्ध तथा सोद्देश्य शिक्षा भी कहा जाता है क्योंकि इसे प्राप्त करने के लिए बालक या उसके अभिभावक अपना कुछ लक्ष्य बना लेते हैं। यह शिक्षा विशेष अध्यापकों द्वारा विद्यालयों में प्राप्त होती है।

दूसरे शब्दों में- “जो शिक्षा हमें विद्यालय की सीमित चहारदीवारी के अन्दर प्राप्त होती है वही शिक्षा का संकुचित अर्थ कहा जायेगा।

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