वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्य
शिक्षा के वैयक्तिक और सामाजिक उद्देश्यों पर गम्भीरता पूर्वक विचार करने के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि यह दोनों उद्देश्य एक दूसरे के पूरक है। एक व्यक्ति के विकास पर बल देता है तो दूसरा उसकी क्रियाओं पर इसके अतिरिक्त व्यक्ति समाज के लिए है और समाज में ही रहकर सार्थक रहता है। दूसरी ओर समाज व्यक्तियों का समूह है और व्यक्तियों की अवहेलना नहीं कर सकता। अतः दोनों एक दूसरे के सहायक है। इस प्रकार व्यक्ति को समाज को दृढ़ बनाना चाहिए और समाज द्वारा व्यक्ति को अपना पूर्ण विकास करने का अवसर देना चाहिए।
हर्षवर्धन राज्यकाल का इतिहास के साहित्यिक साक्ष्यों का उल्लेख कीजिए।
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- ह्वेनसांग के भारत विवरण का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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