वुड का घोषणा पत्र भारतीय शिक्षा का महाधिकार पत्र है।” इस कथन के सन्दर्भ में घोषणा पत्र का मूल्यांकन कीजिए।

वुड का घोषणा पत्र भारतीय शिक्षा – सन् 1853 में जब कम्पनी के आज्ञापत्र के नवीनीकरण का अवसर आया तब ब्रिटेन के राजनैतिक क्षेत्रों में यह महसूस किया जाने लगा था कि भारतीय शिक्षा नीति में कुछ परिवर्तन किया जाना चाहिये। इसलिए ब्रिटिश संसद ने एक संसदीय समिति (Select Committee of the House of Commons) की नियुक्ति की तथा इस समिति द्वारा प्रस्तुत कुछ आधारभूत सिद्धान्तों के आधार पर सन् 1854 में कम्पनी ने शिक्षा सम्बन्धी एक घोषणापत्र प्रस्तुत किया जिसे कम्पनी के संचालक मंडल (Board of Control, East India Company) के अध्यक्ष सर चार्ल्स वुड (Sir Charles Wood) के नाम पर वुड का घोषणापत्र (Wood’s Despatch) कहा जाता है। इस घोषणापत्र में तत्कालीन शिक्षा व्यवस्था के पुनरीक्षण तथा भविष्य में शैक्षिक पुनर्निमाण हेतु एक सुनिश्चित, बहुआयामी तथा दीर्घ कालीन नीति को सूची बद्ध करने का प्रयास किया गया। था। इसे महाविकार पत्र’ भी कहा जाता है। इस घोषणापत्र ने तत्कालीन भारतीय शिक्षा को एक नया मोड़ दिया इसलिए इसकी विस्तृत विवेचना उपयुक्त प्रतीत होती है।

घोषणापत्र का मूल्यांकन

यद्यपि सन् 1854 में घोषित वुड के आदेश पत्र में भारतीय शिक्षा के लिए एक विस्तृत योजना प्रस्तुत की गई थी तथा उसमें शिक्षा के विभिन्न पक्षों के सम्बन्ध में अनेक व्यापक महत्वपूर्ण सिफारिशे भी की गई थी जिनके फलस्वरूप अनुदान प्रणाली का प्रारम्भ हुआ प्रान्तों में शिक्षा विभाग खुले तथा बम्बई कलकत्ता व मद्रास में विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई। परन्तु इसका एक दूसरा पक्ष भी है इस आदेश पत्र में भारतीय शिक्षा को सरकार के अधीन करके उस पर राज्य का पूर्ण अधिपत्य स्थापित कर दिया कि भारत में शिक्षा एक धार्मिक सरकार थी। आदेशपत्र में शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सरकारी नौकरी। प्राप्त करना मात्र स्वीकार किया गया जिससे शिक्षा के व्यापक उद्देश्य को आघात पहुँचा। आदेशपत्र के रचयिताओं का उद्देश्य नेतृत्व के लिए अथवा भारत में औद्योगिक पुनरुत्थान के लिए अथवा मातृभूमि की रक्षा के लिए शिक्षा देने का उद्देश्य नहीं था। भारतीयों तथा उनकी परम्परागत शिक्षा व्यवस्था का अहित करने के कारण अनेक विद्वान इस आदेश पत्र को शिक्षा का महाधिकारपत्र कहे जाने का विरोध करते हैं।

संयुक्त परिवार को परिभाषित कीजिए।

कुछ भी हो वुड के घोषणापत्र के फलस्वरूप भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी परिवर्तन हुए। सन् 1855 तक प्रत्येक प्रान्त में शिक्षा विभाग स्थापित किए गए. सहायता अनुदान प्रणाली लागू कर दी गई. छात्रों को छात्रवृत्तियों देने की योजना का क्रियान्वयन किया गया, तथा सन् 1857 में लन्दन विश्वविद्यालय के पैटर्न पर भारत में तीन विश्वविद्यालय कलकत्ता, बम्बई, व मद्रास में खोले गये। घोषणापत्र की कुछ ही योजनायें लागू हो पाई थीं कि सन् 1857 में स्वतन्त्रता के लिए क्रान्ति हो गई तथा प्रथम असतोष की अभिव्यक्ति थी जिसके कारण ब्रिटिश संसद ने भारत की शासन व्यवस्था कम्पनी से छीनकर अपने हाथों में ले ली तथा इंग्लैण्ड की रानी विक्टोरिया भारत की साम्राज्ञी बन गई। इस राजनैतिक परिवर्तन का भारतीय शिक्षा के विकास पर काफी प्रभाव पड़ा। यद्यपि भारत में शासन परिवर्तन तो हो गया परन्तु कम्पनी के कर्मचारी ही भारत की साम्राज्ञी के सेवकों के रूप में पूर्ववत् कार्य करते रहे। उनकी मनोवृत्ति में कोई परिवर्तन न आने के कारण वुड के घोषणापत्र की अधिकांश सिफारिशें फाइलों में दबी पड़ी रह गई।

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