हर्षवर्धन वंश का इतिहास जानने के प्रमुख अभिलेखों का उल्लेख कीजिए

0
129

हर्षवर्धन वंश का इतिहास जानने के लिए पुरातात्विक साक्ष्य (साधन) निम्न है

(1) बंसखेड़ा का लेख

यह 1894 ई. में उत्तर-प्रदेश के शाहजहाँपुर जिले में स्थितसखेड़ा नामक स्थान से मिला है जिसमें हर्ष संवत् 22 अर्थात 628 ई. की तिथि अंकित है। समें हर्ष के दान के विवरण के साथ-साथ हर्षकालीन शासन व्यवस्था पर विशद प्रकाश डाला गया है। इससे हर्षकालीन शासन के अनेक प्रदेशों तथा पदाधिकारियों के नाम ज्ञात होते है। हर्ष के भाई राज्यवर्धन द्वारा मालवा के शासक देवगुप्त पर विजय तथा गौड़ नरेश शशांक द्वारा उसकी हत्या की जानकारी भी लीपलेख से मिलती है।

(2) मधुबन का लेख

मधुवन, उत्तर प्रदेश के मऊ (आजमगढ़) जिले की घोषी तहसील मे स्थित है। यहाँ से हर्ष संवत् 25 अर्थात 631 ई. का लेख मिला है। इसमें हर्ष द्वारा श्रावस्ती भुक्ति के सोमकुण्डा नामक ग्राम को दान में देने का विवरण है।

(3) वनशिखर लेख-

इससे हमें हर्ष के हस्ताक्षर का ज्ञान प्राप्त होता है और इससे पता चलता है कि वह एक कलाविद् भी था।

हर्षवर्धन के इतिहास के साहित्यिक साक्ष्यों का उल्लेख कीजिए।

(4) पुलकेशिन द्वितीय का ऐहोल अभिलेख

चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय के दरबारी कवि रवि कीर्ति द्वारा लिखवाया गया एहोल अभिलेख हर्ष एवं पुलकेशिन के बीच होने वाले युद्ध का विवरण प्रस्तुत करता है, इसमें हर्ष पराजित हो गया था। इस अभिलेख को 633-34 ई. में उत्कीर्ण करवाया गया था। होती है।

(5) निधानपुर ताम्रपट्ट

इससे हमें हर्ष और भास्करवर्मा की मैत्री के विषय में जानकारी प्राप्त

(6) हर्ष की नालन्दा

मुहर इससे हमें हर्ष की अनेक उपाधियों की जानकारी प्राप्त होती है।

(7) सिक्के

हर्ष ने प्रयाग और कन्नौज की सभाओं में बहुत से सिक्के वितरित किये थे। सिक्कें राजाओं के नाम, राज्यकाल, आर्थिक दशा और राज्य विस्तार इत्यादि जानने में बड़े सहायक सिद्ध हुए है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here