राष्ट्रीय आय की गणना में होने वाली कठिनाइयाँ (Difficulties in Calculating National Income)-राष्ट्रीय आय की गणना में होने वाली कठिनाइयाँ निम्नलिखित है जिसे हम नीचे लिस्ट के माध्यम से आप सभी के लिए शेयर कर रहे हैं-
सीमांत उपभोग प्रवृत्ति (MPC) क्या है ।
- मुद्रा में माप सम्भन नहीं (Measurement not possible in Money)- यद्यपि राष्ट्रीय आय की गणना मुद्रा में की जाती है किन्तु कुछ वस्तुएँ तथा सेवाएँ ऐसी होती हैं जिनकी माप मुद्रा में नहीं हो पातीं। उदाहरण के लिए, यदि चित्रकार शौक के लिए चित्र बनाता है तो वह राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं होता। यदि एक फर्म की सेक्रेटरी अपने मालिक से शादी कर लेती है तो फिर उसकी सेवाएँ राष्ट्रीय आय में नहीं गिनी जाती क्योंकि उनका मौद्रिक मूल्य नहीं होता।
- दोहरी गणना की कठिनाई (Dificuilty of Double Calculation)- यदि राष्ट्रीय आय की गणना करते समय, मध्यवर्ती तथा अन्तिम उत्पादन में सही भेद नहीं किया गया तो आय की दोहरी गणना होने की आशंका रहती है जिससे राष्ट्रीय आय का वास्तविक से अधिक होने का अनुमान लगा लिया जाता है।
- अपर्याप्त एवं अविश्वसनीय आँकड़े (Insufficient and unrealible Data)- विशेष रूप से अर्द्ध-विकसित एवं पिछड़े देशों में अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से सम्बन्धित आँकड़े उपलब्ध नहीं होते और यदि उपलब्ध होते भी हौ जिससे राष्ट्रीय आय का वास्तविक से अधिक होने का अनुमान लगा लिया जाता है।
- अर्थव्यवस्था में अमौद्रिक क्षेत्र (Demonitised area in Economy)- राष्ट्रीय आय की गणना करने के लिए मुद्रा की माप को महत्व दिया गया है, किन्तु कीमतों में परिवर्तन के कारण राष्ट्रीय आय की सही गणना नहीं हो पाती। यदि कीमतों में वृद्धि होती है तो राष्ट्रीय आय अधिक रिकार्ड की जाती है, भले ही उत्पादन में गिरावट आयी हो। यही कारण है कि इस समस्या को हल करने के लिए वास्तविक राष्ट्रीय आय की धारणा को विकसित किया गया है।
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