B.Ed. / BTC/ D.EL.ED / M.Ed. TEACHING

महिला समाख्या के बारे में वर्णन कीजिए।

महिला समाख्या – यह योजना (महिलाओं की समानता के लिए शिक्षा) केन्द्र सरकार द्वारा अप्रैल, 1989 में शुरू की गयी। इसे इण्डो-डच संयुक्त कार्यक्रम के रूप में नीदरलैण्ड सरकार से शत-प्रतिशत सहायता मिलती है। प्रारम्भ में इस योजना के अन्तर्गत कर्नाटक, उत्तर प्रदेश तथा गुजराज राज्य थे। परन्तु अब इसका संचालन आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, केरल, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, बिहार, झारखण्ड, मध्य प्रदेश तथा असम के 53 जिलों के 9000 ग्रामों में हो रहा है। महिला समाख्या कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं विशेष रूप से सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ी वर्गों की शिक्षा तथा उनको अधिकार सम्पन्न करने का ठोस कार्यक्रम है।

महिला समाख्या के उद्देश्य

इस कार्यक्रम के निम्नांकित उद्देश्य हैं

  1. महिलाओं की आत्मवि तथा आत्मविश्वास को बढ़ाना।
  2. ऐसे वातावरण का निर्माण करना जिसमें महिलाएँ वह ज्ञान तथा सूचना प्राप्त कर सके जो उन्हें समाज में रचनात्मक भूमिका अदा करने में सहायता प्रदान करें।
  3. प्रबन्ध का विकेन्द्रीकृत तथा भागीदारी वाला तरीका स्थापित करना।
  4. महिला संघों को ग्रामों में शैक्षिक गतिविधियों का मूल्यांकन तथा निगरानी करने योग्य बनाना।
  5. इस कार्यक्रम मुख्य उद्देश्य है-शिक्षा के लिए ललक उत्पन्न करना, प्रौढ़ अनौपचारिक तथा विद्यालय पूर्व सतत् शिक्षा के लिए नये शैक्षणिक उपादान प्रस्तुत करना।
  6. महिलाओं तथा किशोर उम्र की लड़कियों को शिक्षा के अवसर प्रदान करना तथा महिलाओं और लड़कियों के औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार के शैक्षिक कार्यक्रमों में

मानव तथा पशु समाज में जैविकीय अन्तर को स्पष्ट कीजिए।

अधिक भागीदारी सम्भव बनाना है। महिला संघ वह केन्द्र बिन्दु है जहाँ सभी गतिविधियों की योजना बनायी जाती है और जहाँ महिलाएँ मिल-बैठकर अपनी समस्याओं पर विचार करती है। दो या अधिक महिलाओं के दल को जिसे सखी या सहायकी कहा जाता है, उत्प्रेरक के रूप में काम करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। ये दल महिलाओं को एकत्र करने, संगठित करने का कार्य करते हैं और संघ में विचार-विमर्श को बढ़ावा देते है। संघ के लिए निर्धारित राशियाँ बैंक / डाकखाने में जमा की जाती है। इस धन का उपयोग महिलाओं द्वारा तीन वर्ष तक सामूहिक कार्यों के लिए किया जाता है। सहयोगिनियाँ जो दस गाँवों के समूह को देखती है, संघ के प्रेरक, समर्थक तथा मार्गदर्शक के रूप में काम करती है।

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